जबलपुर. न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत छात्रों को छोटी कक्षाओं से ही वोकेशनल कोर्सेस में दक्ष बनाने की शुरूआत प्रदेश में जबलपुर से की जा रही है। इसके तहत पांच स्कूलों का चयन किया गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट में डिजीटल लर्निंग के साथ ही गार्डनिंग, टेलरिंग, कारपेंटिंग, इलेक्ट्रीशियन जैसी विधाओं में कक्षा 6 से 8 के छात्रों को स्क्लिड बनाया जाएगा। इसके लिए जिमेदारी अक्षर फाउंडेशन का दी गई है। प्रोफेशनल संस्था की ओर से हायर किए जाएंगे। साथ ही इस दौरान आवश्यक टूल्स, सिलाई मशीन, कपड़े भी नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे।
सदस्य मॉजिन मुतार ने बताया कि पांच स्कूल में पढ़ाई का कॉनसेप्ट वर्कशीट आधारित होगा। पूरा सिस्टम ऑनलाइन सॉटवेयर पर होगा जिसमें हर छात्र को ट्रेक किया जाएगा। पहले छात्र का लेवल चेक किया जाएगा इसके आधार पर उन्हें वर्गीकृत किया जाएगा। हर छात्र को वर्कशीट मिलेगी जिसके आधार पर शिक्षक छात्र को पढ़ाएगा। हर सप्ताह इसकी जांच की जाएगी। पूरा पाठ्यक्रम उनके द्वारा तैयार होगा लेकिन यह एमपी बोर्ड से जुड़ा हुआ होगा।
3 करोड़ की राशि होगी खर्च एजुकेशन सिस्टम में बदलाव के तहत जिले के चयनित किए गए पांच स्कूलों में करीब ढाई से 3 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। यह प्रोग्राम तीन सालों तक चलेगा बाद में दूसरे जिलों में नींव रखी जाएगी। यह बात दिल्ली से आए प्रतिनिधि मंडल के सदस्य सदस्य मॉजिन मुतार और अलका शर्मा कही।
मल्टी एजुकेशन सिस्टम कहीं नहीं प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर एवं अक्षर फाउंडेशन से जुड़े विशाल श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश के किसी भी स्कूलों में फिलहाल मल्टी एजुकेशनल सिस्टम आधारित पढ़ाई के यूनिक मॉडल कहीं भी नहीं है। मध्यप्रदेश में जबलपुर से इसकी शुरुआत की जा रही है। असम, गुवाहाटी में इस मॉडल पर काम हो रहा है जहां बच्चे आज पढ़ाई के साथ-साथ कौशल दक्षता में भी बढ़ रहे है। स्कूल के सूखे प्लास्टिक के कचरे को रिसाईकिल करने की ट्रेनिंग के साथ ही उपकरण प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही कक्षाओं को स्मार्ट रूम में कन्वर्ट किया जाएगा।
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