बता दें कि ऋषि रीजेंसी को एक बार का लाइसेंस जारी है, लेकिन वहां एक की जगह चार बार चल रहे थे। आरोप है कि इसमें आबकारी उपनिरीक्षक नीरज दुबे और सुधीर मिश्रा की संलिप्तता मिली थी। आरोप के आधार पर दोनों को 27 जनवरी को निलंबित कर दिया गया था। नीरज को रीवा और सुधीर को सागर संभागीय उड़नदस्ते से संबद्ध किया गया है। बावजूद इसके दोनों ने दो आरक्षकों राकेश बोहरे और जैनेंद्र प्यासी के साथ मिलकर 29 जनवरी की रात में आबकारी कंट्रोल रूम पहुंच कर अलमारी में जब्त 172 बॉटल शराब चुराई थी।
आबकारी विभाग के गोरखपुर स्थित कंट्रोल रूम से 172 बॉटल अंग्रेजी शराब चोरी के इस मामले में पुलिस ने अब जांच शुरू कर दी है। गोरखपुर टीआई सारिका पांडेय ने मौके पर पहुंच कर वहां लगे सीसीटीवी की सीडीआर जब्त की। साथ ही टूटी हुई आलमारी का अवलोकन किया फिर उसे सील करा दिया। जब्त शराब का रिकॉर्ड भी खंगाला। अब जब्त सीडीआर को पुलिस फारेंसिंक लैब भेजेगी ताकि पता चल सके कि सीडीआर में किसी तरह की छेड़छाड़ तो नहीं की गई है।
जांच को पहुंची गोरखपुर टीआई ने पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश की कि घटना वाली रात कंट्रोल रूम में किसकी ड्यूटी थी। अलमारी की चाबी किसके पास रहती है। चोरी शराब किस ब्रांड की थी और उसकी कीमत क्या थी? विवेचना में इन सारे तथ्यों को शामिल किया है।
टीआई सारिका पांडेय का कहना है कि चारों आबकारी कर्मियों के प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर विभाग द्वारा निलंबित किया जा चुका हैं। उनके खिलाफ अलग से विभागीय कार्रवाई भी चल रही है। जांच के बाद चारों की गिरफ्तारी होगी। फिलहाल चारों को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया है।
चारों आबकारी कर्मियों की करतूत सीसीटीवी में कैद हो गई। छह फरवरी को आबकारी आयुक्त ने उक्त दोनों आरक्षकों को भी निलंबित कर दिया। इसके बाद चारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया था। इस मामले में 9 फरवरी को चारों के खिलाफ कंट्रोल रूम अधिकारी जीएल मरावी ने गोरखपुर थाने में 408, 34(2) का प्रकरण दर्ज कराया था।