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जबलपुर। कट्टरपंथियों के रवैये के कारण इस्लाम की छवि खराब हो रही है। कुरआन शरीफ में बताया गया है कि तलाक देना खुदा को नापसंद है। तलाक देने से कुदरत का संतुलन बिगड़ता है और यह गुनाह ए अजीम है। कुरआन शरीफ हिदायत देता है कि तलाक नहीं दी जाए, फिर भी किसी बड़ी मजबूरी के चलते देना हो तो वह कुरआन ए पाक व हदीस की शरीयत की रोशनी में होनी चाहिए। यह बात मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक एसके मुद्दीन ने सोमवार को आयोजित एक पत्रकारवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा जबलपुर में 31 जनवरी को महिला सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसके माध्यम से महिलाओं और समाज को जागरुक किया जाएगा।
मुद्दीन ने कहा तीन तलाक, बहु विवाह के साथ लैंगिक मतभेदों को लेकर जब अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंण्डोनेशिया, कुवैत, लेबनान और सीरिया जैसे 22 इस्लामिक देशों ने कुरआन व हदीस शनियत को सामने रखकर मुस्लिम पर्सनल लॉ और अन्य कानूनों में सुधार कर लिया है तो भारत में इस पर आपत्ति क्यों हो रही है।
नशे में, मजाक-मजाक में या फिर गुस्से में एक आदमी अपनी पत्नी को तलाक दे देता है, जिसे लोग स्वीकार भी कर लेते हैं। ऐसे में उस महिला पर क्या गुजरती है जो इस तकलीफ के भंवर से गुजरती है। उन्होंने कहा ऐसे मनचाहे तलाक एवं हलाला को आज के प्रगतिशील समाज में कैसे स्वीकारा जा सकता है, इससे अन्य समाज के लोग यह समझते हैं कि इस्लाम में औरतों को कोई अधिकार नहीं है, वह अपनी पूरी जिंदगी पर्दे में गुजार लेती है। इस मौके पर जिला संयोजक नसीम बेग, मौलाना चांद कादरी, शाकिर कुरैशी, शाहरुख मुद्दीन आदि मौजूद थे।