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किराना का कमाल, ‘गणपति’ के आकार को ‘रामचंद्र’ की पहचान

प्रतिमाओं का विसर्जन अनवरत जारी है। नाचते-गाते हुए भक्त धूम-धाम से प्रतिमाओं को विसर्जित करने ले जा रहे हैं।

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Abha Sen

Oct 24, 2015

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जबलपुर। दशहरा चल समारोह पूर्ण हो चुका है, लेकिन प्रतिमाओं का विसर्जन अनवरत जारी है। नाचते-गाते हुए भक्त धूम-धाम से प्रतिमाओं को विसर्जित करने ले जा रहे हैं। ऐसे में अब भी शहर के उस कलाकार का नाम शहर में सभी की जुबान पर है जो ड्रायफ्रूटस से राम और रावण के दृश्य अंकित करते हैं। इस कलाकार की प्रतिभा देखते ही बनती है।

(किराना व्यवसायी शिवकांत असाटी)
सुपारी, हल्दी और मखाने से बना रावण जब राम पर प्रहार करता है, तो राजमा के अस्त्र से दालचीनी और जायफल से बने रामजी भी जवाबी प्रहार करते हैं। बादाम और काजू से बने चूहे इस युद्ध के गवाह बनते हैं। रामलीला का यह मंचन किसी मैदान में नहीं बल्कि किराना स्टोर में होता है।
शहर के किराना व्यवसायी शिवकांत असाटी किराना सामानों का उपयोग करके इस तरह की कलाकृतियों का निर्माण करते हैं। इन किराना सामान के उपयोग से वे तरह-तरह की कलाकृतियों को रूप देते हैं।

आठ सालों से कर रहे काम

शिवकांत ने बताया कि वे पिछले आठ सालों से इस तरह की कलाकृति बनाते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक बार एक बच्चा उनकी शॉप आया और कहा कि उसने अलग-अलग आकार की सुपारी चाहिए, जिससे वे एक पंडित की आकृति का निर्माण करेगा।

इस बात से प्रेरित होकर शिवकांत ने भी कलाकृति बनाने का निर्णय लिया। जब शिवकांत ने इसकी शुरुआत की तो गजानन का मंदिर बनाया। इस तरह लोगों की सराहना पाते-पाते उन्होंने कई झांकियां बनाई।
शिवकांत बताते हैं कि उनकी थीम हमेशा गणपति पर फोकस होती है। वे रामलीला के मंचन का दृश्य बनाते हुए भी गणपति के आकार को रामचंद्र की पहचान देते हैं। कलाकृतियां बनाने के लिए वे ज्यादातर मखाना, राजमा, बादाम, काजू, दालचीनी, मिर्च के दाने आदि से तरह-तरह के दृश्य बनाते हैं।

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