लोग इन खसरों की भूमि की खरीदी, बिक्री और नामांतकरण करा सकेंगे। गौरतलब है कि इस मुद्दे को पत्रिका ने अभियान के रूप में प्रमुखता से उठाया था। इसके आधार पर सितंबर, 2023 में तत्कालीन कलेक्टर ने इन प्रकरणों की जांच कर सीलिंग शब्द विलोपित करने के आदेश दिए थे। इस पर तहसीलदारों का प्रतिवेदन लिया गया। इसी प्रतिवेदन के आधार पर एसडीएम न्यायालय से आदेश जारी किए गए हैं।
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बदनपुर में तीन हेक्टेयर है
रकबा गोरखपुर एसडीएम पंकज मिश्रा के न्यायालय में सीलिंग से जुड़ा मौजा बदनपुर का केस आया था। कलेक्टर कोर्ट की अनुमति के बाद प्रकरा पर सुनवाई शुरू हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद पाया गया कि खसरे के कैफियत में गलती से शहरी सीलिंग प्रभावित लिखा गया था। जबकि 1970 से यहां जेडीए ने प्लॉट काटकर लोगों को बेचे थे। लोगों ने घरों का निर्माण भी कर लिया था। वर्ष 2002 में कम्प्यूटराइज्ड प्रक्रिया के दौरान खसरे में नगरीय अतिशेष घोषित भूमि नजूल लिख दिया गया था। इस पर 11 खसरों के कॉलम-3 में दर्ज प्रविष्टि शासकीय के स्थान पर पूर्व अनुसार नगर सुधार न्याय का नाम दर्ज करने और कॉलम -12 में दर्ज प्रविष्टि नगरीय अतिशेष घोषित भूमि नजूल विलुप्त करने और चार खसरों में दर्ज नाम भूमि स्वामी नगर सुधार न्याय जबलपुर यथावत रखने का आदेश जारी किया। जबकि खसरा नंबर 332/1 में 10 हजार वर्ग फीट जमीन अग्निशमन सेवा केंद्र के रूप में आरक्षित रखने के लिए कहा गया है।
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अधारताल में तीन क्षेत्रों के लोगों को राहत
इधर, अधारताल एसडीएम शिवाली सिंह के कोर्ट ने मौजा लक्ष्मीपुर, चावनपुर और बैतला के खसरों के कैफियत कॉलम-12 से सीलिंग से प्रभावित एवं शहरी सीलिंग प्रविष्टि को विलोपित करने का आदेश जारी कर अनुमोदन के लिए प्रकरण कलेक्टर न्यायालय में भेजा है। इसमें ज्यादातर जेडीए की कॉलोनियां आती हैं। इसमें सबसे बड़ा रकबा लक्ष्मीपुर का है। यहां 10 खसरों में 33.998 हेक्टेयर भूमि पर कॉलोनियां बन गई हैं। चावनपुर में 16 खसरों में 5.0823 हेक्टेयर और बैतला के एक खसरे में 5.0823 हेक्टेयर भूमि पर भूखंड बेचने के बाद मकान बन गए हैं। अब इन खसरों में मकान बनाकर निवास कर रहे लोगों को राहत मिलेगी।