
प्रभाकर मिश्रा @जबलपुर. शहर की ऐतिहासिक पहचान व मापदंडों को ताक पर रखकर प्रयोग सालों से जारी हैं। इसके कारण सरकारी खजाने की फिजूलखर्ची भी हो रही है। शहर महानगरों की तरह व्यविस्थत स्वरूप नहीं ले पा रहा है।
बदइंतजामी: नगर निगम में अधिकारी बदलने के साथ ही योजनाओं में होता रहा बदलाव शहर के चौराहों को बनाया प्रयोगशाला, नर्मदा तटों पर भी किया गया बेढंगा कामशहर के चौराहों में रोटरी बनाने, तोड़ने, आकार बढ़ाने, घटाने से लेकर सालों से प्रयोग हो रहे हैं। नगर निगम के अधिकारी बदलते ही प्लानिंग बदल जाती है। फुटपाथ निर्माण, नर्मदा तटों के सौंदर्यीकरण, नालों को लेकर भी मनमाने प्रयोग किए जा रहे हैं। तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार निगम के अफसरों के ये मनमाने प्रयोग नगरवासियों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं।
नाले संकरे और कवर्ड बना दिए
नगर में ओमती-मोती, खंदारी नाला से लेकर ढाई सौ से ज्यादा छोटे-बड़े नालों को साढे़ तीन सौ करोड़ की लागत से पक्का किया गया। जेएनएनयूआरएम व एडीबी का प्रोजेक्ट देख रहे तत्कालीन प्रोजेक्ट अधिकारी आशीष कुमार के कार्यकाल में नालों को कवर्ड व संकरा बना दिया गया।
रोटरी-आईलैंड के नाम पर प्रयोग
यातायात को व्यविस्थत करने के नाम पर तत्कालीन निगमायुक्त वेद प्रकाश के कार्यकाल में तीन पत्ती चौक, गुलौआ चौक, छोटा फुहारा से रोटरी हटाई गई। तीन पत्ती चौक में सिग्नल लग गए, गुलौआ चौक में रोटरी के स्थान पर दुकान लग रही हैं। छोटा फुहारा में हाल ही में रोटरी का फिर से निर्माण किया गया है। इससे पहले दस साल में निगम के अलग-अलग कमिश्नर के कार्यकाल में तीन पत्ती चौक की रोटरी तीन बार टूट कर बन चुकी थी। छोटी लाइन चौराहा में रोटरी बनाने तत्कालीन निगम कमिश्नर चंद्रमौली शुक्ला से लेकर आशीष कुमार के कार्यकाल तक लगभग तीन साल प्रयोग चलते रहे। पांच साल में चौराहों में 4 कमिश्नरों के कार्यकाल में लेफ्ट टर्न खोलने के साथ ही आईलैंड भी बनाए गए।
कभी चौड़े, कभी संकरे
8 साल साल पहले सिविल लाइन, ओमती क्षेत्र में निगम कमिश्नर एनबीएस राजपूत के कार्यकाल में तीन-चार फीट चौड़े फुटपाथों का निर्माण किया गया। चार साल के दौरान निगम कमिश्नर आशीष गुप्ता, अनूप कुमार सिंह, संदीप जीआर, आशीष वशिष्ठ के कार्यकाल में फुटपाथ की कई जगह चौड़ाई छह से आठ फीट कर दी गई, जहां दुकान लग रही हैं।
2 करोड़ से लगाए लाल पत्थर
नर्मदा तट ग्वारीघाट व तिलवाराघाट के सौंदर्यीकरण के नाम पर कमिश्नर एनबीएस राजपूत के कार्यकाल में 2013-14 में दोनों तटों में 2 करोड़ की लागत से धौलपुरी लाल पत्थर लगाए गए। पहली ही बरसात में ही तट क्षतिग्रस्त होने लगे थे। तिलवाराघाट के लाल पत्थर उखड़ने से तट की तस्वीर बिगड़ गई है।
डस्टबिन के नाम पर कई प्रयोग
सफाई व्यवस्था में भले ही नगर निगम फिसड्डी है, लेकिन यहां डस्टबिन के नाम पर मनमाने प्रयोग होते रहे हैं। दस साल में निगम के 7 कमिश्नर बदले। इस दौरान पहले कॉलोनियों के स्तर पर कचरे के बड़े कंटेनर रखे जाते थे।
इनका कहना है-
शहर में निर्माण कार्य गुणवत्ता, मापदंड और भविष्य की आवश्यकता को ध्यान में रखकर किए जाने चाहिए, लेकिन पिछले सालों में ऐसा नहीं हुआ। नगर निगम में जो भी अधिकारी पदस्थ हुए उन्होंने मनमाने प्रयोग किए, नतीजतन फंड की फिजूलखर्ची हुई। शहर का सौंदर्य भी बिगड़ रहा है। इसपर ध्यान होगा।
इंजी.सुनील जैन, स्ट्रक्चर इंजीनियर व टाउन प्लानर
जनप्रतिनिधियों का कार्य शहर के विकास की रूपरेखा बनाना और विकास कार्यों को गति देना है। प्रशासनिक अधिकारियों का काम उस पर गुणवत्ता के साथ क्रियान्वयन करना है। शहर में अब जो भी काम होगा, वह पूरी प्लानिंग और दूरदर्शिता के साथ किया जाएगा। ये भी सुनिश्चित करेंगे कि विकास कार्यों के नाम पर बार-बार तोड़फोड़ न हो।
जगत बहादुर सिंह अन्नू, महापौर
Published on:
17 Oct 2022 12:28 pm
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