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स्वास्थ्य सुविधाओं दावों के बीच ई-हॉस्पिटल से वंचित जबलपुर

locationजबलपुरPublished: Oct 28, 2020 07:43:04 pm

सिर्फ तीन सरकारी हॉस्पिटल के मरीजों का मर्ज हो सका ऑनलाइन, ई-हॉस्पिटल पोर्टल के इस्तेमाल से आसान हो सकता है इलाज

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जबलपुर। ई-हॉस्पिटल पोर्टल योजना जिले में तीन प्रमुख सरकारी अस्पतालों तक सीमित है। इसका विस्तार शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में संचालित कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) तथा प्राइमरी हेल्थ सेंटर (पीएचसी) तक नहीं हो सका है। यदि ऐसा होता है तो मरीज बड़े सरकारी अस्पताल में जाकर इलाज करवाता है या उन्हें रेफर किया जाता है तो चिकित्सकों को मर्ज और दिए गए इलाज की ऑनलाइन जानकारी मिलनी आसान होगी। अभी की स्थिति में मरीज के द्वारा दिखाए गए पर्चे के आधार पर चिकित्सक आगे का इलाज मुहैया करवाते हैं।
एनआइसी के ई-हॉस्पिटल पोर्टल से नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जिला चिकित्सालय एवं लेडी एल्गिन हॉस्पिटल जुड़ा है। इस पोर्टल के डैशबोर्ड पर ओपीडी में आए मरीज और आइपीडी यानी भर्ती मरीजों की संख्या का प्रदर्शन होता है। इलाज के लिए मरीज को पंजीयन के रूप में एक आइडी मिलती है। यदि मरीज इन अस्पतालों में भर्ती होता है तो उसका इलाज और उपचार में दी गई दवाइयों से लेकर तमाम जानकारी चिकित्सक ऑनलाइन करते हैं।
30 सेंटर में इलाज
जिले में अभी की स्थिति में सीएचसी की संख्या आठ और पीएचसी 22 हैं। कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में मरीजों को भर्ती करने की सुविधा भी रहती है। वहीं प्राइमरी सेंटर में केवल इलाज और दवाइयों का वितरण किया जाता है। यदि सीएचसी को ही ई-हॉस्पिटल पोर्टल से जोड़ दिया जाता है तो भी सुविधा होगी। लेकिन इस दिशा में अभी काम नहीं किया जा रहा है।
पोर्टल में दर्ज मरीजों की संख्या
अस्पताल—ओपीडी केस—आइपीडी केस
मेडिकल कालेज अस्पताल 9,66,197 61,762
जिला चिकित्सालय 4,79,708 61,762
लेडी एल्गिन अस्पताल 1,27,447 142
नोट::आंकड़े सितंबर 2015 से अब तक
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यह हैं फायदे
– देश के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों से कनेक्ट।
– भर्ती मरीज की पूरी हिस्ट्री ऑनलाइन की जाती है।
– दिनभर में रजिस्टर्ड हुए मरीजों की संख्या की जानकारी।
– ओपीडी और आइपीडी में दर्ज की जाती है संख्या।
वर्जन……
जिला स्तर पर तीन शासकीय अस्पतालों को ई-हॉस्पिटल सुविधा से पहले ही जोड़ा जा चुका है। ब्लॉक स्तर पर संचालित अस्पतालों को इससे जोडऩे का प्रस्ताव है। शासन से निर्देश मिलते इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।
आशीष शुक्ला, तकनीकी निदेशक, एनआइसी जबलपुर
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