महारानी भगवान श्रीराम की भक्त थीं। भक्ति के तौर तरीकों और अपने आराध्य को लेकर महाराज और महारानी में ठन गई और महारानी कुंवर गनेशी ने यह प्रतिज्ञा की कि वे अपने आराध्य रामराजा को लेकर ही ओरछा वापस आएंगी, पर साथ ही यह विशेष शर्त भी तय हुई कि तब राज्य में एक ही राजा की सरकार रहेगी अर्थात रामाराजा सरकार या श्री जुगल किशोर सरकार। महाराज ने इसे स्वयं की सरकार या रामराजा की सरकार के अर्थ में लिया। जब महारानी भगवान श्रीराम को अयोध्या से ओरछा लेकर आईं तो महाराज ने नए राजा को राज्य सौंपने के लिये अपनी राजधानी टीकमगढ़ स्थानांतरित कर दी पर असल शर्त तो आराध्य देव रूपी राजा को लेकर थी। जिस पर जुगल किशोर सरकार को उनकी प्रेरणा से गोविंद दीक्षित कालांतर में पन्ना ले आए। यहां आने पर उन्हें विंध्यवासिनी मंदिर में अस्थाई रूप से रहना पड़ा और फिर स्थाई रूप से जहां विराजे, उसे आज जुगल किशोर मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर भवन निर्माण की बुंदेली छाप लिए उत्तर मध्यकालीन वास्तुशिल्प के अनुरूप निर्मित है।