7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Kachnar City Shiva Temple-एक शिवभक्त की कल्पना, जिसे साकार करने तन मन धन सब कर दिया अर्पित – देखें वीडियो

कहानी एक शिवभक्त की कल्पना थी, जिसे साकार करने के लिए उसने तन मन धन सब अर्पित कर दिया

3 min read
Google source verification

image

Lalit Kumar Kosta

Jul 06, 2017

Kachnar City Shiva Temple,Shiva Temple in jabalpur

Kachnar City Shiva Temple,Shiva Temple in jabalpur, Pride of Jabalpur Kachnar City and Shiva Temple, Lord Shiva, at Kachnar City, Highest Statue of shiva, worlds longest shiva statue,sawan shiva tample

जबलपुर। संस्कारधानी हर बाशिंदा गर्व से कहता है हमारे पास रेवा है... शिव हैं..और इतने बड़े शिव की उनका स्वरूप देखकर दिल गद्गद् हो जाता है। कचनार सिटी में विराजित भोले के यहां पधारने की कहानी एक शिवभक्त की कल्पना थी, जिसे साकार करने के लिए उसने तन मन धन सब अर्पित कर दिया और कचनार सिटी में उन्हें विराजित कर दिया। 76 फीट की शिव प्रतिमा तीन साल में बनकर तैयार हुई।
सावन के मौके पर हम आपको इस आकर्षक प्रतिमा के इतिहास के बारे में बता रहे हैं कि किस तरह विशाल प्रतिमा वाले भोले शंकर संस्कारधानी की धरती पर आ पहुंचे। इस प्रतिमा की स्थापना का श्रेय कचनार बिल्डर अरुण कुमार तिवारी को जाता है। उन्हीं के प्रयासों से शहर में इस खूबसूरत प्रतिमा की स्थापना हुई है। वर्ष 2006 में बनकर तैयार हुई इस प्रतिमा को देखने के लिए शहर के बाहर से भी लोग पहुंचते हैं।


ऐसे हुई शुरुआत
अरुण तिवारी बैंगलुरू की बिल्डिंग के कंस्ट्रक्शन को देखने 1996 में निकले। वहां पर उन्होंने 41 फीट के भोले की प्रतिमा देखी। उसे देख विचार आया कि एेसी प्रतिमा जबलपुर में भी बनवाऊंगा। 2000 में अरुण ने कचनार सिटी बसाने का प्लान बनाया। उन्होंने छह एकड़ जगह शिव की मूर्ति के लिए रिजर्व रखी। 2002 में वे उस शिल्पकार को ढूंढने निकल गए, जिन्होंने बैंगलुरू की प्रतिमा बनाई थी। वहां पहुंचकर उनकी मुलाकात मूर्ति बनवाने वाले व्यक्ति से हुई। अरुण ने उनसे मूर्तिकार का पता पूछा तो उन्होंने मना कर दिया, लेकिन मनौव्वल के बाद बता दिया कि इसे के. श्रीधर नाम के शिल्पी ने बनाया है, जो कि बैंगलुरू से तीन सौ किलोमीटर दूर शिमोगा जिले में रहते हैं। श्रीधर को ढंूढने में अरुण को दो महीने लग गए, लेकिन वे श्रीधर को खोजकर ही माने।

kachnar city shiv patrika jabalpur के लिए चित्र परिणाम

मूर्तिकार ने न कहा, फिर शर्तों पर माना
जब अरुण ने श्रीधर को जबलपुर में प्रतिमा बनाने के लिए निवेदन किया तो श्रीधर ने उन्हें मना कर दिया। श्रीधर को लगता था कि नॉर्थ इंडिया में बहुत दंगे होते हैं, इसलिए जान का खतरा है। अरुण ने श्रीधर को सुरक्षा की गारंटी दी और वे जबलपुर आने के लिए तैयार हुए। अरुण ने कहा कि 81 फीट की मूर्ति चाहिए तो श्रीधर ने कहा कि कुछ फीट कम ज्यादा हो सकता है। श्रीधर ने एक शर्त और रखी कि वे अपने 15 मजदूरों के साथ आएंगे। सभी केवल एक जोड़ी कपड़े में आएंगे, साथ ही रहने के लिए मकान, खाने का प्रबंध आपको करना होगा। सभी बातें पक्की होने के बाद अरुण, श्रीधर को शहर ले आए। कचनार सिटी में मूर्ति निर्माण की जगह दिखाने के बाद श्रीधर ने निर्माण की सारी जरूरतें बताईं। बुनियादी काम होने के बाद 2003 में मूर्ति बनाने का काम शुरू हुआ।


तीन साल में बनी प्रतिमा
मूर्ति को बनाने में मजदूरों को तीन साल लगे। जब निर्माण चल रहा था तो ऊपर तक पहुंचने के लिए लिफ्ट का सहारा लिया गया, जो कि पुणे से मंगवाई गई थी। एक दिन श्रीधर, अरुण को लिफ्ट में बैठाकर ऊपर तक ले गए। जब लिफ्ट प्रतिमा की नाक के पास पहुंची तो उन्होंने पूछा कि तुम नाक कैसे बनाओगे, क्योंकि बिल्कुल नजदीक होने के कारण शेप समझ नहीं आएगा। श्रीधर ने कहा यह राज की बात है, फिर भी मैं आपको बताता हूं। वे लिफ्ट से वापस नीचे आए और दूर से खड़े होकर शेप देखा। वे फिर ऊपर आए और शेप देने का काम वापस शुरू किया।



12 ज्योतिर्लिंग मौजूद
अरुण बताते हैं कि प्रतिमा के अंदर गुफा में 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापना भी श्रीधर ने ही की। प्रतिमा के निचले हिस्से में बनी गुफा में देश के विभिन्न राज्यों के ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। श्रीधर के सुझाव पर ही कचनार सिटी मंदिर के आकर्षक गेट का निर्माण किया गया था। छह एकड़ के इस परिसर में कई अन्य प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं, जो श्रीधर की कला का बेहतरीन नमूना हैं।


तीन साल में रंगाई-पुताई
अरुण बताते हैं कि इसे साफ-सुधरा रखने के लिए हर तीन साल में रंगाई-पुताई की जाती है। स्थानीय मजदूरों द्वारा पेंट करवाया जाता है। कॉन्क्रीट से बना है, इसमें धूप के कारण चटकन न आए, इसलिए समय-समय पर रखरखाव पर ध्यान दिया जाता है। जर्मनी से लाई गई लाइट से दस दिन पहले ही परिसर पर शानदार लाइटिंग की गई, जिससे शाम का नजारा खूबसूरत हो। यह लाइट जर्मनी से लाई गई हैं, जिस पर मौसम का कोई असर नहीं होता।

सबसे सुंदर प्रतिमा
श्रीधर अभी तक 12 प्रतिमा बना चुके हैं। वे खुद यह मानते हैं कि इन सब प्रतिमाओं में सबसे सुंदर प्रतिमा जबलपुर की है। जितनीसफाई और चेहरे की भाव-भंगिमा इस प्रतिमा में है, उतनी अन्य किसी में नहीं। वे तीन-चार साल के अंतराल में इसे देखने आते हैं।

ये भी पढ़ें

image