महिला आरक्षक से बलात्कार के आरोपी को जमानत नहीं
जिला अदालत ने अर्जी की खारिज
अभियोजन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पीडि़ता जबलपुर में पदस्थ है। 2012 में वह अपने गांव की सरकारी स्कूल में कक्षा नवमीं की छात्रा थी। उस समय उसकी एक सहेली ने एक दिन कहा कि उसका चाचा फोन पर बात करना चाहता है। मोबाइल नंबर पर बात कर लेना। पीडि़ता ने बात करने से मना कर दिया। इस पर आरोपी स्कूल जाने के रास्ते में खड़ा होकर सीटी बजाने लगा। 24 जनवरी 2012 को उसने पीडि़त के घर के मोबाइल पर कॉल किया और हालचाल पूछा। इसके बाद इसी तरह फोन करके परेशान करने लगा। पीडि़ता ने भयवश घरवालों को यह सब नहीं बताया। एक रात आरोपी ने पीडि़ता के घर के आंगन में पत्थर फेंके। दहशत और दबाव बनाकर पीडि़ता को मिलने बुलाया और बलात्कार किया। उस समय पीडि़ता 15 वर्ष की थी।
इसके बाद से वह बार-बार मिलने बुलाने लगा। ऐसा न करने पर सबको सब कुछ बताने की धमकी देने लगा। 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करके पीडि़ता कॉलेज की पढ़ाई करने रीवा चली गई। आरोपी वहां भी पहुंच गया और पीछा करने लगा। 2018 में पीडि़ता ट्रेनिंग के सिलसिले में इंदौर चली गई तो आरोपी भी वहां पहुंच गया और परेशान करने लगा। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद जबलपुर में पोस्टिंग हुई तो वह यहां भी परेशान करने लगा। पांच अक्टूबर 2020 को कमरे में घुसकर बलात्कार किया। यह जानकारी पीडि़ता ने अपनी मां को दी, जिसके बाद धारा 376,376(2)(एन) भादवि एवं धारा 6 पाक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इसी मामले में जमानत पाने के लिए आरोपी की ओर से यह अर्जी पेश की गई, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया।