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दिल्ली के बाद मप्र में शराब घोटाला, 90 करोड़ सालाना का सामने आया खेल- पढ़ें पूरी खबर

दिल्ली के बाद मप्र में शराब घोटाला, 90 करोड़ सालाना का सामने आया खेल- पढ़ें पूरी खबर

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Liquor Scandal, MP

Liquor Scandal, MP

जबलपुर. प्रदेश में सर्वाधिक राजस्व वाले आबकारी विभाग की नाक के नीचे घोटाला जारी है लेकिन विभाग अनजान बना हुआ है। शराब दुकान संचालकों ने आपसी मिलीभगत से एक सिंडीकेट बना लिया है। ग्राहक को प्रति बोतल 10-20 रुपए अधिक पर शराब बेची जा रही है। अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक कीमत पर बेचकर तथाकथित ‘सिंडीकेट टैक्स’ वसूला जा रहा है। ऐसा कर ठेकेदार करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं। घोटाले की बानगी इस से ही समझी जा सकती है कि सिर्फ जबलपुर जिले में प्रति माह 6 करोड़ की राशि सिंडीकेट अवैध रूप से डकार रहा है और आबकारी अधिकारी नींद में गाफिल हैं?

शराब सिंडीकेट की रंगदारी: 70 करोड़ रुपए का आबकारी घोटाला, हर बोतल पर 10 फीसदी तक अधिक वसूली

घोटाले का गणित
जिले में प्रति माह 60 करोड़ रुपए की शराब की बिक्री होती है। इस पर 10 प्रतिशत अधिक कीमत वसूलने पर प्रति माह 6 करोड़ और साल भर में 70-75 करोड़ के घोटाले की आशंका है। इसकी पुष्टि आबकारी विभाग की औचक जांच में भी हो चुका है। टीम ने खरीदार बन कर शराब खरीदी तो उससे भी प्रति बोतल 10-20 रुपए अधिक वसूले गए। जिले में 143 कंपोजिट शराब दुकानें हैं। यहां अंग्रेजी और देशी दोनों तरह की शराब बिकती है। परेशानी यह है कि जो कीमत बोतल पर प्रिंट रहती है, उससे ज्यादा कीमत ग्राहकों से वसूलने का रैकेट चल रहा है। प्रत्येक बोतल पर 10 से 20 रुपए अ धिक लिया जा रहा है और आबकारी विभाग तमाशबीन बना हुआ है। विभाग ने शराब सिंडीकेट को क्लीनचिट देते हुए ओवरप्राइसिंग को नकार दिया।

यह मिली अनियमितताएं

इन दुकानों में न केवल ओवरप्राइजिंग की जा रही है बल्कि दल को निरीक्षण पु स्तिका भी नहीं दी गई। तय मसौदे के अनुरुप साइन बोर्ड भी दुकानों में नहीं मिला। शराब की आवक का रजिस्टर भी नदारद था। इसमें कितना स्टॉक आया, कितना विक्रय हुआ और कितनी मात्र बची का रिकार्ड रहता है। कुछ दुकानों में रेट लिस्ट भी नही थी।

ठेकेदार अधिक कीमत भी देने तैयार

ठेकेदार दुकानों के लिए ज्यादा कीमत चुका रहे हैं। आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 816 करोड़ रुपए आरक्षित मूल्य तय किया गया है। उसमें भी 77 प्रतिशत दुकानदारों ने नवीनीकरण से फिर ठेका ले लिया है। इसका एक बड़ा कारण ओवरप्राइजिंग से कमाई है। ठेकेदार सिंडीकेट बनाकर यह काम कर रहे हैं। इसमें अफसरों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

करोड़ों के वारे-न्यारे

संभागीय उडऩदस्ता ने औचक जांच में महानद्दा में संचालित दुकान में गड़बड़ी पकड़ी थी। 6 मार्च को यहां से खरीदी गई शराब में एमआरपी से 10 रुपए अधिक चार्ज किए गए। इसी फर्म की सिंगौड की दुकान में भी अधिक कीमत वसूली गई। शारदा चौक पर अमन जायसवाल की दुकान बीस रुपए अधिक, घनश्याम इंटरप्राइजेज की चेरीताल में संचालित शराब दुकान में भी अधिक राशि वसूल की र्गइ्र। अन्य दुकानों में भी यही खेल जारी है। इसमें ठेकेदार करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं।