दरअसल, बीएलओ के पास पहुंचकर मतदाता सूची में नाम जुड़वाने और कटवाने की एक महीने तक चली प्रक्रिया में कई मतदाताओं के वार्ड बदल गए और कई नए नाम जुड़ गए, लेकिन जो नए नाम जोड़े गए हैं वे मतदाता आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में ही मताधिकार का प्रयोग कर पाएंगे। प्रशासन ने मतदाता सूची में 25 हजार नाम जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसमें 21 हजार नाम जोड़े जा सके। लेकिन उन्हें आगामी नगर निगम चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं मिल पाएगा।
बताया जा रहा है कि नगर निगम चुनाव में वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भावी प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ने के हिसाब से अपना वार्ड बदल लिया। साथ ही अपने कुछ समर्थक मतदाताओं का भी वार्ड बदलवाने को उनके निवास स्थान में सुधार करवा रहे थे। इस संबंध में उप जिला निर्वाचन अधिकारी शाहिद खान ने बताया कि नगर निगम और पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन हो चुका है। अभी जो मतदाता सूची में नाम जोड़ने और सुधार का काम किया जा रहा है, वह आगामी विधानसभा चुनाव के लिए है। इसलिए जो भी नाम या पता में सुधार हो रहा है उसका लाभ निगम चुनाव में नहीं मिलेगा।
इस बीच नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के मनीष शर्मा, डॉ राकेश चक्रवर्ती ने जिला निर्वाचन अधिकारी से मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत की थी। अब इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है।