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मां नर्मदा !अद्भुत उत्साह-अप्रतिम आस्था

locationजबलपुरPublished: Feb 20, 2021 08:45:02 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर में नर्मदा प्रकटोत्सव पर भक्तिभाव और प्रफुल्लित मन से किया मां नर्मदा दर्शन

mother Narmada Jayanti

mother Narmada Jayanti

 

जबलपुर। ‘कोरोना का कहरÓ कम हुआ। इसी बीच शुक्रवार को मां नर्मदा का जन्मोत्सव आ गया। इस दिन जबलपुर जिले के सभी नर्मदा तट जनसैलाब के आस्था-उत्साह-भक्तिभाव के रंगों-भावों से लबालब हो गया। महीनों माई रेवा से दूरी बनाने को मजबूर हुए लोगों की मानो मन की मुराद नर्मदा तटों पर ही पूरी होनी थी। बच्चे-जवान-वृद्ध-महिलाओं के चेहरों पर मां के दर्शन का उत्साह देखते ही बन रहा था। जिस तरफ देखो, उस तरफ से भीड़ का रेला नर्मदा तटों की ओर जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि पूरा शहर इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। सड़कों पर जाम लग रहा था। वाहनों का शोर था। धक्का-मुक्की भी थी। लेकिन, हर किसी के मन में था कि मां के दर्शन हो जाएं, छोटी-छोटी दिक्कतें तो चलती ही रहती हैं। जगह-जगह भंडारे चल रहे थे। लोग प्रेमभाव से प्रसाद लेकर आगे बढ़ते जा रहे थे। आस्था-उत्साह-भक्ति भाव का संगम देखने वालों का भी मन प्रफुल्लित हो रहा था।

ग्वारीघाट, तिलवाराघाट, भेड़ाघाट सहित शहर किनारे के अन्य घाटों पर करीब दो लाख श्रद्धालुओं ने पूजन-अर्चन और स्नान किया। सुबह से देर रात तक सभी घाटों पर भंडारों के साथ लोग मां नर्मदा को चुनरी चढ़ाने के लिए पहुंचे। ग्वारीघाट के एक से दूसरे छोर तक एक दर्जन से ज्यादा जगह चुनरी चढ़ाने वाले हजारों लोग आए। शहर के कोने कोने में मां नर्मदा की प्रतिमाएं स्थापित की गईं। सारा दिन पंडालों में भजन गूंजते रहे। शाम को ग्वारीघाट में होने वाली महाआरती का विशेष आयोजन किया गया। इस दौरान प्रशासन, पुलिस अधिकारियों के अलावा महाआरती समिति सदस्यों के साथ हजारों की संख्या में लोगों ने नर्मदा पूजन किया। लगभग एक घंटे तक चली आरती के बाद भी स्नान-ध्यान करने वालों की भीड़ आती रही।

नगर निगम की ओर से नाविकों की मदद से नदी में छोड़ी गई पूजन सामग्री को निकालने की व्यवस्था की गई थी। इससे घाटों पर गंदगी कम नजर आई। इस बार जगह-जगह छोटे डस्टबिन रखे गए थे। इसके अलावा नगर निगम के सफाई कर्मी डस्टबिन लेकर घाट एवं मार्ग का कचरा एकत्रित करते रहे। ग्वारीघाट की निचली सड़क और घाट पर किसी को भंडारा लगाने की अनुमति नहीं दी गई। वाहनों को भी नीचे तक नहीं आने दिया गया। इससे पैदल आने वाले श्रद्धालुओं को तट से लेकर सड़कों पर आवाजाही के लिए पर्याप्त जगह मिली। सुबह से रात होने तक सड़क से लेकर घाट में जाम के हालात नहीं बने।

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