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जबलपुर

बौद्धिक क्षमता बढ़ाने प्रदेश में छाया जिले का नवाचारी मॉडल

जी-20 एफएलएन कानक्लेव का हुआ आयोजन, प्रदेश भर से 52 जिलों ने की सहभागिता

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जबलपुर.बच्चों के बौद्धिक क्षमता का विकास करने एवं अंको का संख्यात्मक ज्ञान कराने के लिए जी-20 राज्य एफएलएन कांक्लेव एग्जीबिशन में तैयार किए गए मॉडल को राज्य स्तर पर सराहना मिली है। राज्य स्तर पर प्रथम स्थान मिला है। वेस्ट मटेरियल के द्वारा प्लास्टिक की बोतलों से टेिबल कुर्सी का निर्माण कर पढ़ाई कराने एवं संख्यात्मक ज्ञान के लिए भूल- भुलैया मॉडल को प्रस्तुत किया गया था। प्रदेश के सभी 52 जिलों द्वारा इस एग्जीबीशन में अपनी सहभागिता की गई जिसमें जबलपुर को पहली रैंक हासिल हुई।
गौरतलब है कि डिजिटल इकोनॉमी वर्किंग ग्रुप (डीईडब्ल्यूजी) की पुणे में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई है, जिसमें देश से 8 राज्यों को देश की ओर से सहभागिता की जा रही है। निपुण भारत के अंतर्गत प्राथमिक कक्षा तक बच्चों को भाषा में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान सुनिश्चित करवाने के उद्देश्य को लेकर जी-20 के अंतर्गत एफएलएन आधारित राज्य स्तरीय कांक्लेव प्रशासन अकादमी भोपाल में आयोजित किया गया था।
कुर्सी मॉडल से अंको की अवधारणा
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की और से व्याख्याता डॉ.तरुणा शर्मा ने वेस्ट टू बेस्ट मॉडल का निर्माण किया ताकि सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं दी जा सकें। प्लोसिटक की खराब बॉटलों से टेबिल- कुर्सियों का निर्माण कर उनमें फाऊंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमैरेसी आधारित सामग्री उपलब्ध करई गई। यदि कक्षा दूसरी में 4 अंक को समझाना है तो उसे संबंधित चीजों को उसकी कुर्सियों पर उपलब्ध कर दिया जाएगा। इस प्रकार बच्चा अंक 4 की अवधारणा को समझ सकेगा।
रटने से ज्यादा सोचने पर जोर
इसी तरह बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए एपीसी घनश्याम बर्मन, प्रीति विश्वकर्मा ने बताया कि एक मल्टी टॉस्क आधारित भूल-भुलैया मॉडल तैयार किया गया जिसके माध्यम से कंचे छोड़ने पर जहां जाकर कंचा रुकता है वहां छात्र को बताना पड़ता है कि उसमें क्या लिखा है। उसके पीछे का उद्देश्य छात्र को रटने अपेक्षा सोचने समझने पर जोर दिया गया है। इस मॉडल के आधार पर छात्रों में बहुत ही क्षमता का विकास को प्रदर्शित किया गया।

-राज्य स्तर पर जिले के नवाचारी मॉडल को प्रथम रैंक मिली है। प्रमुख सचिव एवं संचालक राज्य शिक्षा केंद्र ने जिले को सम्मानित किया गया। पहली बार है जब राज्यस्तर पर उपलिब्ध हासिल हुई है।
योगेश शर्मा, जिला परियोजना समन्वयक