Mp assembly election 2023: विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 6 सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और कांग्रेस ने विधानसभा में मौजूदा विधायकों को टिकट देने के साथ एक विधानसभा में सिंगल नाम तय कर लिया है लेकिन इनमें से कुछ सीटों पर भाजपा तो कुछ पर कांग्रेस को खेमेबंदी चरम पर है। उम्मीदवार के साथ ही जो दावेदार है वे असंतोष का समाना करना पड़ रहे हैं।
जहां टिकट घोषित हो चुकी है वहां के अलावा जहां टिकट घोषित नहीं हुई वहां भी अंदरुनी कलह अब चर्चा में आ गई है। ऐसे में चुनाव में सभी उम्मीदवारों के लिए अपनों को साधना एक बड़ी चुनौती होगी।
तीन सीटों में भाजपा में कलह
पार्टी सूत्रों के अनुसार तीन विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर पार्टी में अंदरूनी कलह है। इनमें पश्चिम विधानसभा में टिकट की घोषणा हो चुकी है। सूत्र बताते हैं कि यहां पर संगठन की सक्रियता अभी नहीं दिख रही है और संगठन के एक पदाधिकारी के जन्मदिन के बहाने क्षेत्र में शक्तिप्रदर्शन किया गया। इसमें बैनर लगाए गए थे उनमें उम्मीदवार की फोटो नहीं होना भी चर्चा का विषय है। यही नहीं मंडल के पदाधिकारियों की गतिविधियां भी अभी सक्रिय नहीं दिख रही है।
हलांकि इन सबके बीच पार्टी में सब ठीक होने की बात कही जा रही है और धीरे-धीरे स्थित समान्य होने का दावा है। उधर उत्तर विधानसभा में पार्टी भाजपा ने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। यहां एक अनार सौ बीमार की स्थिति है। टिकट घोषित होने के पहले दावेदार एक दूसरे की जड़े खोदने लगे हैं। सिहोरा विधानसभा में भी स्थिति ठीक नहीं है। पार्टी ने सभी मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है लेकिन सिहोरा का टिकट रोक दिया है। सूत्र बताते हैं यहां असंतोष को कम करने कोई समाधान नहीं निकला है।
कांग्रेस में यहां ज्यादा तकरार
कांग्रेस में अभी सबसे ज्यादा कलह उत्तर विधानसभा में हैं। यहां पार्टी के नेताओं में समन्वय नहीं होने और एक ग्रुप की बैठकें होने की खबर संगठन स्तर तक है। यहां पर कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर बने जी 23 की तरह स्थानीय स्तर पर भी विधानसभा में एक जी 23 असंतुष्ट नेताओं का गुट बना है। इसमें कई पदाधिकारी शामिल है। पार्टी में कलह जून माह में हुए सोनिया गांधी के दौरे के दौरान भी देखने को मिली थी।
कुछ माह पूर्व हुए प्रियंका गांधी के दौरे व हाल ही में हुई जनआक्रोश यात्रा के दौरान भी बैनर पोस्टर वार देखने मिला था। जहां कुछ नेताओं ने अलग ही अपना मंच और बैनर लगाए थे। इसके अलावा सिहोरा में कांग्रेस के दावेदारों में तकरार है। उधर एक दावेदार के जाति प्रमाणपत्र को लेकर कुछ विरोधी घूम रहे हैं तो कुछ महिला कांग्रेस नेत्री दावेदारी कर रहे हैं। उधर एक अन्य दावेदार भी है। जिनके बीच सबकुछ ठीक नहीं है।
कुछ ने एक दूसरे का कच्चा चिट्ठा भी संगठन के मुखिया को पहुंचाया है। यहां असंतोष कम करना भी पार्टी के लिए चुनौती है। पनागर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 2003 के बाद से वापस नहीं आ सकी है। पिछले 3 चुनाव में उम्मीदवार मजबूत नहीं होने और गुटबाजी का पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ा। गुटबाजी के कारण यहां पार्टी पिछले चुनाव में तीसरे नंबर पर रही। अभी भी यहां दावेदारों में घमासान मचा है। एक संगठन के पदाधिकारी ने अपने संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष से पत्र लिखवाकर कर कांग्रेस हाईकमान को भेज दिया है। जिसके नाम पर प्रदेश के कुछ नेताओं ने आपत्ति जताई है। यहां भी खेमेबंदी तेज हो गई है। बहरहाल इस गुटबंदी को कम करना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है।