
This senior officer of the police department said that the mistake was made by the court to hear the crime, see the video
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने मदनमहल पहाड़ी से हटाकर तिलहरी विस्थापित किए गए परिवारों को पुन: वापस बसाने के लिए पेश की गई जनहित याचिका निरस्त कर दी। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने तथ्य छिपाकर याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ता पर दस हजार रु कॉस्ट भी लगाई। याचिकाकर्ता ने यह तथ्य छिपा लिया था कि उक्त विस्थापित हाईकोर्ट के आदेश के चलते हटाए गए।
Read Also : Mp High Court : अग्रिम जमानत के लिए भाजपा नेता उपेंद्र धाकड़ हाईकोर्ट की शरण में, सुनवाई टली
यह है मामला
आईटीआई जबलपुर के पूर्व प्राचार्य मदन मोहन शकरगायें ने यह याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया कि मदनमहल पहाड़ी में पौधरोपण, बागवानी करने की योजना के चलते सैकड़ों परिवारों को हटा दिया गया। विस्थापितों को तिलहरी में बसाया गया। जहां उनके हालात भयावह हैं।आसन्न वर्षाकाल के लिहाज से इन विस्थापितों को प्लेटफॉर्म, धर्मशाला व अन्य संस्थाओं में आश्रय देकर उनकी सुरक्षा, भोजन व अन्य व्यस्थाएं की जाएं। शकरगायें ने स्वयं पैरवी करते हुए तर्क दिया कि महज बागवानी के लिए नगर निगम ने इतने लोगों को उजाड़ दिया। इसलिए उन्हें वापस उसी जगह पर बसाया जाए, जहां वे पहले रह रहे थे।
Read Also : MP High Court : मदनमहल पहाड़ी के बाशिंदों को हटाने के आदेश पर रोक से हाईकोर्ट का इंकार
बागवानी के लिए नहीं कोर्ट के आदेश पर हटे
इस पर शासकीय हिमांशु मिश्रा ने तर्क दिया कि बागवानी के लिए, बल्कि हाईकोर्ट के आदेश के चलते उक्त अतिक्रमणकारी हटाए गए। जबकि याचिकाकर्ता ने इस तथ्य का अपनी याचिका या बहस में कोई उल्लेख ही नहीं किया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि तथ्य छिपाकर भ्रमित करने की मंशा से याचिका दायर की गई। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर इसके लिए कॉस्ट लगा दी।
Published on:
01 Jul 2019 08:41 pm
बड़ी खबरें
View Allजबलपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
