MP News: मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर ने अपना एक अनमोल रत्न खो दिया है। ये शख्स गरीबों के मसीहा के तौर पर जाने वाले 80 वर्षीय पद्मश्री डॉ मुनीश चंद्र डावर ने शुक्रवार की शाम अंतिम सांस ली। वह ऐसे डॉक्टरों में शुमार थे, जिन्होंने चिकित्सा के ज्ञान को सेवा का माध्यम बनाया, फीस की बजाय इलाज को अहमियत दी और आजीवन मेडिकल जगत की चकाचौंध से दूर रहे। हाल ही में 1 जुलाई को डॉक्टर डे पर उनकी सेवाओं को चिकित्सा जगत के साथ आम लोगों ने याद किया था।
डॉ मुनीश चंद्र डावर को साल 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें सम्मानित किया था। जब पीएम मोदी जबलपुर दौरे पर आए थे। तो उन्होंने अकेले में डॉक्टर डावर से मुलाकात की थी।
डॉ मुनीश चंद्र डावर का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। उन्होंने मध्यप्रदेश से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने भारतीय सेना में डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दी। वह 1971 में हुए भारत-पाक जंग के दौरान बांग्लादेश में तैनात रहे। वहां पर उन्होंने घायल जवानों का इलाज किया। इसके बाद वह 1972 में सेना से रिटायर हो गए और जबलपुर में अपनी प्रैक्टिस शुरु कर दी।
डॉ मुनीश चंद्र डावर ने अपने पेशे को अपनी उम्र पर हावी नहीं होने दिया। उनका क्लीनिक नियमित रूप से खुलता था। मरीजों की लंबी लाइनें उनकी क्लीनिक के बाहर लगती थी। 1972 में उन्होंने सिर्फ दो रुपए की फीस से इलाज शुरु किया था। जिसके बाद अब भी 20 रुपए ही लेते थे।
डॉ. डावर अस्पताल में सामान्य टेबल, कुर्सी रखकर मरीजों की जांच और इलाज करते थे। उन्होंने कभी दिखावा नहीं किया। हफ्ते के 6 दिन वह प्रैक्टिस के दौरान 150-200 मरीजों का इलाज प्रतिदिन करते थे। कई मरीज तो ऐसे थे। जो कि ग्रामीण इलाकों से उनके पास आते थे।
सीएम डॉ मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। यह जबलपुर ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें। विगत दिनों आपसे हुई भेंट में मुझे जनसेवा के प्रति आपके समर्पण से प्रेरणा मिली थी। आपके देवलोकगमन से मानव सेवा और लोक कल्याण के क्षेत्र में गहरी रिक्तता आई है। !! ॐ शांति !!
Published on:
05 Jul 2025 01:58 pm