मंत्रिमंडल में महाकोशल को प्रतिनिधित्व देने की मांग
शहर की उपेक्षा पर विपक्ष ने खोला मोर्चा, सत्ता पक्ष में नाराजगी के सुर
मंत्रिमंडल विस्तार में लम्बे समय बाद यह मौका है जब महाकोशल व जबलपुर के खाते में एक राज्य मंत्री का पद भी नहीं आया। जबकि कांग्रेस की डेढ़ वर्ष की सरकार के कार्यकाल में जबलपुर से ही दो केबिनेट मंत्री रहे। सूत्र बताते हैं कि सत्ता पक्ष के कद्दावर जनप्रतिनिधि पार्टी फोरम में इस मामले में खुलकर नाराजगी जताई है और उन्होंने बड़े नेताओं से सवाल भी किया है कि वे समर्थकों के साथ ही आम जनता को क्या जवाब देंगे।
पद देने की कवायद
सूत्र बताते हैं कि मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने के बाद भाजपा प्रदेश संगठन में महाकोशल के प्रमुख नेताओं को पद देकर साधने की कोशिश करके नाराजगी दूर करने की कोशिश की जाएगी।
सामाजिक संस्थाओं में भी नाराजगी
महाकोशल की उपेक्षा से सामाजिक संगठनों में भी नाराजगी है। टिम्बर मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश परमार ने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र भी लिखा है। जबलपुर अग्रवाल सभा के अध्यक्ष घनश्यामदास अग्रवाल, श्रीकच्छ पाटीदार समाज के अध्यक्ष संतोष पटेल, श्रीराम लीला समिति गढ़ा, सिटीजंस सोशल फोरम के पदाधिकारियों ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मंत्रिमंडल में महाकोशल की उपेक्षा पर सवाल उठाए हैं। सभी ने मुख्यमंत्री से मंत्रिमंडल विस्तार में जबलपुर व महाकोशल को प्रतिनिधित्व देने की मांग की है।
सरकार को सरोकार नहीं: भनोत
पूर्व मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार से साफ जाहिर हो गया है कि सरकार को जबलपुर-महाकोशल के विकास से कोई सरोकार नहीं है। कांग्रेस सरकार के समय जो भी घोषणाएं हुई थी उनको अब आगें नहीं बढय़ा जा रहा है। जबलपुर में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई थी। विकास कार्यो के भूमिपूजन हुए। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के जो प्रस्ताव थे। महाकोशल व जबलपुर के प्रति भाजपा की करनी व कथनी में अंतर साफ दिख रहा है।