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बस एक इस जिद ने बना दिया टॉपर, सुनिए एमपी टॉपर संपदा की जुबानी

शहर की बेटी संपदा सराफ ने केवल एक जिद और संकल्प ने उन्हें एमपीपीएससी में टॉपर बना दिया।

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जबलपुर। कहते हैं कि मन में लगन और दृढ़ विश्वास हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। शहर की बेटी संपदा सराफ ने भी इस बात को साबित किया है। केवल एक जिद और संकल्प ने उन्हें एमपीपीएससी में टॉपर बना दिया। दया नगर निवासी संपदा की मां नंदनी सराफ के अनुसार उनके घर के सामने सडक़ पर अक्सर कचरे का ढेर लगा रहता था। संपदा अक्सर मां से पूछती थी, कि नगर निगम वाले आखिर इसे हटवाते क्यों नहीं हैं? किसी दूसरी सुनसान जगह पर कचरा क्यों एकत्रित नहीं किया जाता? आखिर कौन है जो एक आदेश पर इन लापरवाह कर्मचारियों को सुधार सकता है? संपदा के इन सवालों का मां के पास एक ही जवाब था कि कलेक्टर साहब ही कुछ कर सकते हैं। उनके पास बहुत पावर होता है। बस यही बात संपदा के मन में उतर कर गई और उसने कलेक्टर बनने के लिए कदम आगे बढ़ा दिए। उन्होंने पूरी लगन से पीएससी की तैयारी शुरू कर दी और इसका रिजल्ट आज सबके सामने है। उन्होंने पीएससी में एमपी में टॉप किया है। हालांकि संपदा इसे अपना पड़ाव नहीं मानतीं। उनकी तमन्ना आईएएस बनकर इस पद को पाने की है।
प्रदेश में टाप आने पर पत्रिका ने संपदा से बात की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-

आप सफलता के लिए किसे श्रेय देना चाहेंगी?
अभियोजन अधिकारी पिता आदेश सराफ, महिला बाल विकास विभाग में विधि अधिकारी मां नंदिनी सराफ मेरे प्रेरणास्रोत रहे हैं। भाई अनिलेश और दादी ने हौसला बढ़ाया।
तैयारी के लिए क्या विशेष किया?
अंग्रेजी माध्यम में नोट्स उपलब्ध नहीं थे। खुद के नोट्स बनाए, जिससे काफी मदद मिली। सवालों के जवाब देने के लिए समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया।
पहले भी आप चयनित हो चुकी हैं? क्या लक्ष्य हैं?
२०१६ इसी परीक्षा में ९५५ अंक थे। डीएसपी के लिए चयन हुआ था। कुल १५७५ अंक में से इस बार एक हजार अंक हैं। आगे आईएएस के लिए चयनित होना है।
औरों को क्या संदेश देना चाहेंगी - लक्ष्य बनाएं और अनुशासन/फोकस के साथ उसे पाने के लिए जुट जाएं। तो किसी भी पोस्ट को प्राप्त कर सकते हैं। पहले प्रयास में डीएसपी बनी थी। कॉलेज के दिनों से तैयारी शुरू कर दी थी। पिछले अटैम्प्ट में भी इंटरव्यू में अच्छे माक्र्स मिले थे। जो पद मुझे प्राप्त हुआ है, वह बहुत जिम्मेदारी वाला है। इस पद पर रहते हुए जो भी प्रॉबलम्स फेस करनी पड़ेंगी उन्हें पॉजीटिविटी के साथ नौकरी का हिस्सा मानकर ही फेस करुंगी। काम के दौरान मेन ऑब्जेक्टिव यही रहेगा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सकूं। मुख्य उद्देश्य अपने जॉब को जस्टिस देना होगा। इसके लिए मैं किसी भी चीज को बाधक नहीं बनने दूंगी।