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कोरोना संक्रमित मां का शव लेकर तीन घंटे अस्पताल के बाहर बैठने का दर्द तुम क्या जानो साहब?

locationजबलपुरPublished: Aug 10, 2020 08:41:18 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर में निजी अस्पताल की लापरवाही से अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार
 
 

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जबलपुर। कोरोना संक्रमित के साथ हद दर्जे की अमानवीयता जबलपुर शहर में सामने आई। निजी अस्पताल में भर्ती जबलपुर शहर के सदर निवासी वृद्धा की तबीयत बिगडऩे पर रविवार को मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। मेडिकल अस्पताल पहुंचने से पहले ही एम्बुलेंस में मौत हो गई। वृद्धा को मेडिकल कॉलेज भेजने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने एम्बुलेंस तो उपलब्ध करा दी, लेकिन उसके ट्रीटमेंट की फाइल नहीं दी। वृद्धा के साथ उनकी एक बेटी थी। एम्बुलेंस चालक ने मेडिकल पहुंचने पर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सामने शव और उसकी बेटी को उतारकर चला गया। मां के शव रखकर बेटी मेडिकल कॉलेज में आगे की प्रक्रिया के लिए पहुंची, तो वहां निजी अस्पताल का डिस्चार्ज कार्ड मांगा गया। कई बार फोन करने के बाद निजी अस्पताल ने डिस्चार्ज कार्ड भेजा। इस दौरान बेटी मां के शव को लेकर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के बाहर बैठी रही। औपचारिकता के अभाव में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सामने से मरचुरी तक शव ले जाने के लिए भी बेटी को परेशान होना पड़ा। काफी भटकने और मिन्नतों के बाद मां की देह को सुरक्षित किया जा सका। उसके बाद भी परेशानियों का अंत नहीं हुआ। अपनी चचेरी बहन के साथ बेटी, मां का शव लेकर बिलहरी ग्रेवयार्ड पहुंची। वहां अंतिम संस्कार नहीं हो सका। मोक्ष संस्था की सहायता से शाम को चौहानी मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार हुआ।
मौत काउंट नहीं हो, इसलिए रेफर
निजी अस्पताल में भर्ती 80 वर्षीय वृद्धा को कोरोना के अलावा अन्य बीमारियां थी। सात अगस्त से वह एक निजी अस्पताल में भर्ती थी। वहां जांच में कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। रविवार दोपहर करीब 12 बजे जब निजी अस्पताल ने महिला को रेफर किया वह काफी गम्भीर थी। सूत्रों की मानें, तो कोविड डेथ काउंट से बचने के लिए निजी अस्पताल ने आखिरी समय पर वृद्धा को रेफर किया। कोविड केस रेफर करने से निजी अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज से पूर्व अनुमति लेनी चाहिए। लेकिन, कई गम्भीर मरीज बिना सूचना दिए ही भेजे जा रहे हैं। इससे उन्हें भर्ती करने से उपचार शुरूकरने से पहले जरूरी तैयारियां करने में परेशानी आ रही है। रविवार को कोरोना संक्रमित वृद्धा मरीज को उसकी बेटी के साथ भेज दिया गया। मौत के बाद वृद्धा का शव अस्पताल परिसर में बाहर रखा रहा। संक्रमित का शव ज्यादा देर तक बाहर रहने से संक्रमण का खतरा बना रहा।

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