कार्यक्रम का दो मार्च को शुभारंभ हुआ। तीन मार्च को गोलबाजार के गोलाकार प्रांगण में वृत्तनुमा कैनवास पर कूंची-कल्पना-कौशल का कमाल नजर आने लगा। इंदौर से आईं गर्वंमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ फाइन आर्ट से उपाधिधारक समिधा पालीवाल अपनी टीम के सदस्यों विशाल हंस, लोकेश नायक, शुचि, रितेश, दुर्गेश, पूजा सहित अन्य के साथ नेताजी के व्यक्तित्व-कृत्तिव को रेखांकित कर रही थीं। वहीं दूसरी तरफ शांति निकेतन व खैरागढ़ से फाइन आर्ट की शिक्षा पूरी करने वाले रवींद्र राय भी अपनी टीम के साथ श्वेत आधार पर रेखांकन कर रंग भरने में दत्तचित्त दिखे। नेताजी के जीवन को चित्रांकन के जरिये साकार करने वाले कलाकारों में हर उम्र के कलाकार देखने को मिल रहे हैं।
सभी अपनी थीम के हिसाब से अपने भीतर की रचनात्मकता, सौंदर्यबोध, ऊर्जा व कलात्मकता का भरपूरे प्रदर्शन करने में जुटे हैं। जब सभी कैनवास अपने ऊपर उकेरे चित्रों की समग्रता से सज जाएंगे। तब एक नजर में नेताजी का संपूर्ण जीवन आंखों के सामने झलक उठेगा। साथ ही 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन की यादें भी ताजा हो जाएंगी।