
जबलपुर. इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब अंग्रेजी के साथ ही हिंदी भाषा में भी होगी। इसी स में इसकी शुरुआत की जा रही है। इससे हिंदी भाषायी छात्रों को आसानी होगी। बीटैक प्रथम वर्ष के छात्रों से इसकी शुरुआत की जाएगी। इसे इसी शिक्षण सत्र से शुरू किया जा रहा है। इसके लिए आवश्यक किताबों का भी इंतजाम कर दिया गया है। दरअसल यह पूरी कवायद राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत की जा रही है। इससे हिंदी भाषायी छात्रों को सबसे बड़ा फायदा होगा। शासकीय जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में इसे लेकर आवश्यक तैयारी शुरू कर दी गई है। कालेज में मैकेनिकल और सिविल ब्रांच में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को हिंदी में अध्यापन की व्यवस्था दी गई है।
छात्रों से मांगा विकल्प
बताया जाता है इंजीनियरिंग कॉलेजों में अभी प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए छात्रों से पढ़ाई को लेकर विकल्प मांगा जा रहा है कि वे पाठयक्रम को हिंदी अथवा अंग्रेजी किस भाषा में अध्ययन करना चाहेंगे। इसके आधार पर छात्रों को बांटकर अलग से पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी। इसके आधार पर छात्रों की कक्षाओं को सेपरेट लगाकर पढ़ाई कराई जाएगी। इंजीनियिरंग की अधिकांश बुके उपलब्ध करा दी गई हैं।
कठिन तकनीकी शब्द मुश्किल
प्राध्यापकों का कहना है कि इंजीनियिंरग की पढ़ाई में कई तकनीकी शब्द ऐसे हैं जिनका पर्यायवाची ढूंढना मुश्किल है। ऐसे में उन शब्दों को आधी हिंदी और आधी अंग्रेजी में ही बताया जाएगा। कई शब्दों को उसी भाषा में भी उल्लेख किया गया है। कक्षाओं में पढ़ाई के लिए प्राध्यापकों को भी दोहरी जिम्मेदारी होगी। हिंदी में पढ़ाई का उददेश्य छात्रों को उनकी मौलिक भाषा में समझाना है ताकि वे बेहतर कर सकें।
डिग्री के साथ डिप्लोमा भी
जानकारों के अनुसार डिग्री के साथ ही डिप्लोमा पाठयक्रमों को भी हिंदी में लाया जा रहा है। तकनीकी शिक्षा विभाग ने सत्र 2022-23 से 11 शिक्षण संस्थानों में बीटेक और डिप्लोमा पाठ्यक्रम में पढ़ाई की सुवधा उपलब्ध कराई गई है। जेईसी में प्रथम वर्ष की सीटें लगभग फुल हो चुकी हैं। 700 से अधिक छात्रों ने प्रवेश लिया है। बताया जाता है डिप्लोमा पाठयक्रम में मैकेनिकल इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर एवं इंटीरियर डिजाइन, इलेक्ट्रानिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन जैसे विषय शामिल हैं।
- इंजीनियरिंग में हिंदी की पढ़ाई को लेकर आवश्यक तैयारी शुरू की जा रही है। किताबें उपलब्ध हो गई हैं। छात्रों को उनकी ही मातृभाषा में पढ़ाई कराने से वे ज्यादा अच्छे से सोच और समझ सकेंगे।
-प्रो.पीके झिंगे, प्राचार्य जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज
Published on:
01 Oct 2022 12:09 am
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