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सालभर पुलिस भरती रही कार्रवाई का दम, वारंटी पकड़ में आए कम

वारंट तामीली सामान्य भी नहीं, पुलिस की कार्रवाई कमजोर

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praveen chaturvadi

Dec 30, 2016

Police action

Police action

जबलपुर। वर्ष 2016 के शुरू से ही पुलिस फरार अपराधियों और वारंटियों के पीछे भागने का दम भरती रही। हालांकि, साल के अंत तक हजारों फरार आपराधी शिकंजे में नहीं आए। कहीं पुलिस और अपराधियों का गठजोड़ नाकामी का कारण बना, तो कहीं राजनीतिक संरक्षण। 3370 तो केवल वे अपराधी हैं, जिनके खिलाफ न्यायालय ने वारंट जारी किया था। 110 एेसे थे, जिनके खिलाफ पुलिस अधिकारियों ने इनाम घोषित किया था।

भूल जाते हैं तामीली

रिटायर्ड सीएसपी सीएन दुबे के अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों से किसी अपराधी पर इनाम घोषित करवाना पुलिस की खानापूर्ति में शामिल होता है। इनाम घोषित होने के बाद पुलिस तलाश के प्रयास कम कर देती है। एेसा ही स्थाई और गिरफ्तारी वारंट के मामलों में भी होता है। जिन मामलों में कोर्ट से पुलिस को फटकार नहीं लगती, उन वारंट को भी पुलिस भूल जाती है। इस कारण उक्त वारंट ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। एेसे में कई बार अपराधी पुलिस के सामने से गुजर जाता है और पुलिस को पता नहीं रहता।

जानकारी देना बंद

पहले पुलिस किसी संदिग्ध या अपराधी को पकड़ती थी, तो इसकी सूचना प्रत्येक थाने को दी जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह सिस्टम खत्म हो गया। खुद को एक्टिव बताने के चक्कर में थाना प्रभारियों और वरिष्ठ अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

नाकामी के कारण

अपराधियों का नाम और पता बदलकर रहना।
अपराधियों का शहर छोड़कर
भाग निकलना।
अपराधियों की पुलिस से सांठगांठ।
अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण।
अपराधियों का रसूखदार होना।

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