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जबलपुर। स्वच्छता के मामले में जबलपुर नम्बर वन बनेगा या नहीं, इसकी कड़ी परीक्षा शुरू हो गई है। स्वच्छता सर्वेक्षण करने के लिए शहरी विकास मंत्रालय की क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया की टीम बुधवार सुबह शहर भ्रमण पर निकल गई। तीन दिन तक टीम हालात देखेगी। स्पॉट वेरिफिकेशन, डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन के साथ ही लोगों से भी बात करेगी। इसी आधार पर शहर को अंक मिलेंगे और रैंकिंग तय होगी।
जबलपुर में सबसे पहले
चार जनवरी से देश में सर्वे शुरू हुआ है। एक लाख से अधिक आबादी के 500 शहरों का सर्वे कर नम्बर वन शहर का चयन होगा। इसमें जबलपुर सहित 73 शहर एेसे हैं, जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक बताई जा रही है। प्रदेश के कुल 34 शहरों में स्वच्छता सर्वे होना है। इसकी शुरुआत जबलपुर से होने जा रही है।
माइनस मार्र्किंग की तलवार
सर्वे टीम अपने साथ माइनस मार्र्किंग की 'तलवार' भी लेकर आई है। पिछले साल देश में हुए सर्वे के मुकाबले इस साल जहां कई श्रेणियां तय हैं, वहीं माइनस मार्र्किंग को भी शामिल किया गया है। फीडबैक के ही 450 अंक तय हैं। फीडबैक ने निगम के अफसरों को चिंता में डाल रखा है, क्योंकि शहर को नम्बर एक की दौड़ में आगे ले जाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
400 से 54 हुए अंक
पिछले साल हुए सर्वे में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, कचरा उपचार व निपटान के 400 अंक थे। निगम के अफसर दक्षिण एशिया के अपनी तरह के इकलौते शहर में स्थापित कठौंदा स्थित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट शुरू होने के बाद 400 अंक तय मान रहे थे। सूत्रों ने बताया कि सर्वे के लिए बनी श्रेणियों में पहले इसे घटाकर 150 कर दिया गया। इस माह सर्वे शुरू होने के ठीक पहले वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के लिए केवल 54 अंक तय कर दिए गए हैं। इससे निगम की नम्बर वन बनने की तैयारियों को झटका लगा है। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व परिवहन के लिए भी चार बिंदु निर्धारित कर 54, 28, 18 व 29 मिलाकर कुल 129 अंक तय हैं।