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जबलपुर/ मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में कॉलेजों की सम्बद्धता से लेकर परीक्षा, मार्कशीट, डिग्री, गोपनीय विभाग की कार्रवाई सब आउटसोर्स के हाथों में हैं। चार कमरों में नर्सिंग कॉलेज चलने से लेकर, मेडिकल स्टूडेंट की समय पर परीक्षा न होने, रिजल्ट अटकने जैसी तमाम गड़बड़ियां सामने आने के बावजूद यूनिवर्सिटी की अहम जिम्मेदारियां प्राइवेट कर्मचारी सम्भाल रहे हैं।
मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी: गड़बड़झाले का गढ़ बना विवि
नवम्बर 2011 में हुई थी स्थापना
11 साल बाद भी सिर्फ 17 नियमित कर्मचारी
यूनिवर्सिटी की स्थापना नवंबर 2011 में हुई थी। तब से महज 17 नियमित कर्मचारियों के भरोसे यूनिवर्सिटी चल रही है। 11 साल पहले एमयू की स्थापना के समय 35 पद राज्य शासन ने स्वीकृत किए थे। वर्ष 2014 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में 240 पद और स्वीकृत हुए। जिसके बाद कुल स्वीकृत पदों की संख्या 275 हो गई। लेकिन यूनिवर्सिटी में कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई।
एमयू प्रशासन के अनुसार कर्मचारी उपलब्ध कराने एक दशक से चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय से लगातार पत्राचार जारी है। लेकिन स्वीकृत पदों पर कर्मचारी नियुक्त नहीं किए गए। हाल ही में पदभार संभालने वाले एमयू के नए कुलपति भी एमयू में नियमित कर्मचारी उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं। एमयू के नियमित कर्मचारियों में कुलपति, रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक, 2 उपकुल सचिव, 1 कार्यपालन यंत्री व तृतीय श्रेणी के 3 कर्मचारी हैं। वहीं आउट सोर्स पर 120 के लगभग कर्मचारी यूडीएस अपडेटर सर्विसेस के सेवाएं दे रहे हैं। दरअसल मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स के कर्मचारी उपलब्ध कराने टेंडर हुआ था, फिर उसी कंपनी के कर्मचारियों की सेवाएं एमयू में भी ले ली गईं।
यह है स्थिति
11 साल पहले हुई स्थापना
275 स्वीकृत पद
17 नियमित कर्मचारी
120 कर्मचारी आउटसोर्स पर
5 सौ के लगभग संबद्ध कॉलेज
70 हजार के लगभग छात्र
एमयू में स्वीकृत पदों के मुकाबले नियमित कर्मचारियों की संख्या काफी कम है, नियमित कर्मचारी उपलब्ध कराने प्रदेश शासन से मांग करेंगे। जिससे की यूनिवर्सिटी की व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके, शिक्षण सत्र समय पर संचालित हो और हर काम में पारदर्शिता आए।
- डॉ अशोक खंडेलवाल, कुलपति, मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी
हजारों मेडिकल स्टूडेंट के भविष्य से खिलवाड़
एमयू में 5 सौ के लगभग कॉलेज संबद्ध हैं, जिनमें अलग-अलग पैथी के 70 हजार के लगभग मेडिकल स्टूडेंट अध्ययनरत हैं। इन कॉलेजों में मेडिकल, डेंटल, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा, योग व नैचुरोपैथी, होमोपैथी, नर्सिंग, पैरामेडिकल, ऑडियोलॉजी एंड स्पीच, लैंग्वेज पैथोलॉजी व फिजियोथैरेपी के मेडिकल स्टूडेंट शामिल हैं। एमयू की खामियों के कारण कई कॉलेजों ने फर्जीवाड़ा करके संबद्धता ले ली, बाद में उनकी संबद्धता निरस्त हुई तो वहां पढ़ने वाले स्टूडेंट का कैरियर संकट में आ गया। इसी तरह से हर साल शिक्षण सत्र देर से संचालित होने का भी उन्हें नुकसान हो रहा है। ऐसी समस्याओं को लेकर प्रदेशभर में एमयू से संबद्ध के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट आए दिन एमयू के चक्कर काट रहे हैं।
Published on:
27 Aug 2022 01:43 pm
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