आलम यह है कि जूनियर डॉक्टर, नर्सिंग स्टूडेंट्स यहां तक कि आयुर्वेदिक कॉलेजों के विद्यार्थियों की सेवाएं हासिल कर किसी तरह से कोरोना जैसी महामारी से लड़ा जा रहा है। यह तब है जब सरकार की ओर से पहले ही संविदा पर चिकित्सक, नर्सिंग व अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ नियुक्त करने की मंजूरी दी जा चुकी है।
अब जब कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच डॉक्टर, नर्स व अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ भी संक्रमित होने लगे हैं, एक साथ कइयों को क्वारंटीन या आइसोलेशन में भेज दिया गया है तो संक्ट और गहरा गया है। ऐसे में एक बार फिर से चिकित्सकीय स्टॉफ की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है। हालांकि जानकार बताते हैं कि इससे पहले भी संविदा पर चिकित्सकीय स्टॉफ को संविदा पर रखने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे जिन पर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। ऐसे में अब इस कार्य में कितनी तेजी आएगी औऱ कब तक सरकारी अस्पतालों में मेडिकल स्टॉफ जरूरत के लायक हो पाएगा इस पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। वैसे बताया जा रहा है कि फिलहाल नर्सिंग स्टॉफ बढ़ाने के लिए विभिन्न नर्सिंग कॉलेजों से संपर्क कर प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थियों को तलाशा जा रहा है।