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smart city jabalpur का रिकॉर्ड रूम बना कचराघर

smart city jabalpur का रिकॉर्ड रूम बना कचराघर  

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smart city jabalpur

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जबलपुर. जिले में खसरा, नक्शा और दूसरे रिकॉर्ड की हालत अभी भी खराब है। बस्तों में रखे रिकॉर्ड जर्जर हो गए हैं। इन्हें रखने की जगह तक कलेक्टर कार्यालय में बने रिकॉर्डरूम में नहीं है। वे यहां-वहां बिखरे पडे़ हैं। उन्हें सहेजने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। कुछ माह पहले निरीक्षण के लिए आए कलेक्टर ने सुधार के निर्देश दिए थे। अधिकारियों को नरसिंहपुर का रिकॉर्ड रूम देखने कहा था। यहां से अधिकारी उसे देखकर आ भी गए लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।

ढूंढने में लग जाते हैं घंटों

रिकॉर्डरूम में हर आदमी से जुडे़ हुए जरूरी दस्तावेज होते हैं। उनका रखरखाव बहुत जरूरी होता है। मगर इस पर कर्मचारी ध्यान नहीं देते हैं। जब किसी कागज की नकल मांगी जाती है तो उसे ढूंढ़ने में उन्हें घंटों और कई बार दिन लग जाते हैं। उन्हें क्रमबद्ध तरीके से नहीं रखा गया है। जहां जिसे मौका मिला गठरी को वहां रख दिया। कई रिकॉर्ड तो ऐसे हैं जो कि गल गए हैं। कागज को हाथ लगाते ही उसके कई टुकडे़ हो जाते हैं। इसलिए कई बार लोगों को दस्तावेज नहीं मिल पाते हैं।

रैक खाली न जमीन का कोई भाग

जिला पंजीयक कार्यालय के सामने बने रिकॉर्ड रूम में हजारों की संख्या में बस्ते रखे हैं। उनमें कुछ तहसीलों का रिकॉर्ड भी रखा है। इनकी संख्या ही इतनी हो गई है कि कर्मचारियों को बैठने की जगह नहीं रहती है। वहीं जहां इन्हें रखा गया है, वहां पहुंचने के लिए उन्हें दस बार सोचना पड़ता है। एक भी रैक खाली नहीं है। अब बस्तों को खाली जगह रखा जा रहा है। इसलिए छोटा स्थान भी खाली नहीं बचा है। सबसे बड़ी बात है कि स्टाफ की तरफ से इसे ठीक करने के लिए प्रयास भी नहीं किया जाता है।

तीन से चार जगहों पर भंडारण

रिकॉर्ड एक नहीं बल्कि तीन से चार जगहों पर रखे हैं। इनमें कुछ वर्ष 1900 से उसके बाद के हैं। एक कमरे में आंग्ल दस्तावेज भी रखे हैं। यह काफी महत्वपूर्ण हैं। इसी प्रकार मूल रिकॉर्डरूम में जिले से जुडे़ सारे रिकॉर्ड को रखा गया है। इसकी हालत बहुत खराब है। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जब इनकी हालत देखी थी तो नाराजगी जताते हुए सुधारने की हिदायत दी थी। मगर कोई ज्यादा बदलाव नहीं आया है।