7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

होली पर रिश्तों में मिठास घोलती है शक्कर की माला

होली का पर्व रंग-गुलाल लगाकर शुभकानाएं देने के साथ रिश्तों में खुशियों के रंग और मिठास घोलने का है। संस्कारधानी के लोग आज भी होली पर शक्कर की मामला भेंट करने की परंपरा को संजोए हुए हैं।

less than 1 minute read
Google source verification
Sugar garland dissolves sweetness in relationships on Holi

Sugar garland dissolves sweetness in relationships on Holi

जबलपुर। होली का पर्व रंग-गुलाल लगाकर शुभकानाएं देने के साथ रिश्तों में खुशियों के रंग और मिठास घोलने का है। संस्कारधानी के लोग आज भी होली पर शक्कर की मामला भेंट करने की परंपरा को संजोए हुए हैं। हालांकि पूर्व की तुलना में इसका उपयोग कम हुआ है।

इतिहासकार राजकुमार गुप्ता के अनुसार रिश्तों में मिठास बनाए रखने और राग-द्वेष, बैर की होली जलाकर उन्हें प्रेम की मीठी माला में पिरोकर गले लगाना ही होली का मुख्य उद्देश्य है। इसका जीवंत प्रतीक है शक्कर की माला। यह केवल होली पर्व पर ही दिखाई देती है। इसे भेंटकरने का तर्क होता था कि हम जिस रिश्ते को निभा रहे हैं, वे इसी की तरह मीठे बने रहें। शक्कर की माला का उपयोग पहले पर्व की एक मिठाई के रूप में भी किया जाता था।

25 प्रतिशत बचा व्यापार
बड़ा फुहारा क्षेत्र के व्यापारियों ने बताया कि पिछले एक दशक में शक्कर की माला का व्यापार 25 प्रतिशत ही बचा है। पहले 8 से 10 क्विंटल माला बिक जाती थी। अब 2 से 3 क्ंिवटल तक सिमट कर रह गई है। कुछ ही परिवार इस परम्परा आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को इसकी जानकारी दे रहे हैं। इस बार शक्कर की माला 70 से 90 रुपए किलो तक बिक रही है।

होरा भूनने की परम्परा हुई औपचारिक
होलिका दहन पर गेहूं की नई फसल की बालियां, हरे चने के पौधे एक साथ बांधकर होली की आग में भूनकर उन्हें परिजनों के साथ मिलकर खाने की परम्परा भी अब औपचारिकता बनकर रह गई है। राजकुमार गुप्ता के अनुसार होरा भूनकर फाग में आने वाले नए गेहूं, चना की फसलों को अग्निेदव को समर्पित कर उनसे अच्छी पैदावार की कामना की जाती थी। इस परम्परा को किसानों के अलावा आमजन भी खूब निभाते थे।