
tension
जबलपुर। कई बार अधिक मेहनत करने के बाद भी निगेटिव फीडबैक मिलते हंै लेकिन निराश नहीं होना चाहिए। ब्रह्माकुमारी विनीता बहन के अनुसार जीवन में हर व्यक्ति के पास तनाव आता है। लेकिन जो इस पर विजय प्राप्त कर लेता है वो हर मंजिल को पा लेता है, जो इसे बोझ समझ लेता है वह अपनी सेहत से खिलवाड़ करता है। कई बार तनाव जीवन को बर्बाद भी कर देता है। ऐसे में आवश्यक है इस पर जीत प्राप्त करना। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ कारण और सरल उपाए-
कार्यस्थल पर तनाव के पीछे हो सकते हैं ये कारण
अत्यधिक वर्कलोड - जरूरत से ज्यादा वर्कलोड बढऩा भी तनाव का कारण हो सकता है। आपका वर्कलोड इस वजह से भी बढ़ सकता है कि कंपनी में आप पर कई तरह की नई जिम्मेदारियां भी जोड़ दी गई हो। कई बार ऐसा भी होता है कि एम्प्लॉई को एक्ट्रा टाइम देना पड़ता है और उन्हें लंच करने का भी पर्याप्त समय नहीं मिलता। इसके अलावा एक्ट्रा टाइम का पैसा भी नहीं मिलता। इस वजह से भी स्ट्रेस बढ़ जाता है। ऐसे में धैर्य से काम लेना चाहिए, मन को विचलित होने से बचाएं प्रसन्न रहें। काम सार्थक और सफल होगा।
सपोर्ट की कमी - कई बार वर्कप्लेस पर सहकर्मियों और मैनेजर्स के सपोर्ट के बिना तनाव बढ़ जाता है। एक सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि वर्कप्लेस मोटिवेशनल नहीं है तो एप्लॉइज में स्ट्रेस रहता है। इसके अलावा कई बार सीनियर्स का गलत बर्ताव भी स्ट्रेस का कारण बन जाता है। सहकर्मी भी स्ट्रेस पैदा कर सकते हैं। वहीं यदि सहकर्मियों के साथ थोड़ा सोशल रिलेशन हो तो ऑफिस में रोज होने वाले तनाव को कम किया जा सकता है। अपनों से मन की बात शेयर करें, तनाव कम हो जाएगा।
कंट्रोल न कर पाना - ऑफिस में यदि आपका बिहेवियर प्रोफेशनल नहीं है तो तनाव पैदा होगा। यदि आपका नेचर एग्रेसिव है तो इससे ऑफिस में स्ट्रेस पैदा होगा। इसके अलावा यदि आपकी कभी बॉस से या फिर किसी सहकर्मी से आपकी बहस हो गई तो ऐसे में भी आपको तनाव होगा। साथ ही वर्कप्लेस पर भी नकारात्मकता बढ़ती है। इसलिए अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। चीजों को बिगडऩे से पहले ही उनसे दूरी बना लेना ठीक है। आप अपने ईष्ट के पास बैठकर उनसे बातें करें। या ध्यान लगाकर खुद को शांत करें।
स्वयं का गलत आकलन करना - यह भी बहुत जरूरी है कि एम्प्लॉई को उसकी नॉलेज और कार्य के लिए सराहना मिले। कई आप वर्कप्लेस पर ऐसी स्थिति का भी सामना करना पड़ता है, जब अधिक काम करने पर भी आपका आकलन कम होता है। इससे मनोबल कमजोर होता है और आप तनाव में आ सकते हैं। साथ ही प्रोडक्टविटी भी प्रभावित होगी। इसलिए खुद का आकलन हमेशा सही करें। खुद श्रेष्ठ नहीं मानेंगे तो आप कभी सफल योद्धा नहीं बन सकते हैं।
Published on:
07 Jun 2019 03:02 pm
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