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धनुष और शारंग की जबलपुर में हो सकेगी फायरिंग

एलपीआर में फिर शुरू होगी टेस्टिंग, रक्षा मंत्रालय ने लगाई है रोक

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जबलपुर. दुनिया की सबसे शक्तिशाली तोप में शामिल स्वदेशी बोफोर्स धनुष तोप और शारंग तोप का परीक्षण फिर से लॉन्ग प्रूफ रेंज (ओएफके) खमरिया में किए जाने की तैयारियां तेज हो गई हैं। अब यह फायरिंग रेंज के भीतर दो से तीन किलोमीटर अंदर होगी ताकि मौजूदा अधोसंरचना को नुकसान नहीं हो। इसके शुरू होने से शहर की तीन निर्माणियों जीसीएफ, वीएफजे और जीआईएफ को इटारसी जाने की झंझट से मुक्ति मिलेगी।

रक्षा मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीक्यूए) ने अपने संस्थानों की री-स्ट्रचिंग की थी। उसमें एलपीआर में बडी कैलीबर की तोप के परीक्षण पर रोक लगाई गई थी। इसकी वजह यहां संरक्षा संबंधी कठिनाइयां सामने आना था। इसलिए स्वदेशी बोफोर्स 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप की बैरल का परीक्षण रोक दिया था। इसी प्रकार 155 एमएम 45 कैलीबर शारंग तोप के परीक्षण पर रोक लगा दी थी।

बिल्डिंग और टावर को नुकसान

यह दोनों तोप बेहद शक्तिशाली हैं। इनकी बैरल में गोला डालकर जब फायर किया जाता है तो बहुत तेज आवाज होती है। धमक इतनी अधिक होती है कि पूरी रेंज हिल जाती है। जबकि रेंज इस तरह के परीक्षणों के लिए नहीं बनी है लेकिन डीजीक्यूए ने अलग हटकर काम किया था। यही कारण है कि इनका परीक्षण इतनी छोटी रेंज में होने लगा है। जबकि इनका परीक्षण राजस्थान की पोकरण और प्रदेश में इटारसी के पास सीपीई रेंज में हो सकता है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अभी इटारसी में ही यह दोनों तोप गरज रही हैं।

निर्माणियों का परिवहन व्यय बढ़ा

जबलपुर में गन कैरिज फैक्ट्री में 38 से 40 किमी की दूरी तक मार करने वाली धनुष तोप का उत्पादन होता है। इसी प्रकार 130 एमएम से अपग्रेड की गई शारंग तोप भी इतनी दूरी पर गोला दागने में सक्षम है। यह दोनों शक्तिशाली हैं। खासकर धनुष तोप लेकर काफी परेशानियां ज्यादा उठानी पड़ रही थी। इसकी धमक से मौजूदा अधोसंरचना को बहुत नुकसान हो रहा है। इसलिए अब फायरिंग प्लान में बदलाव किया जा रहा है।

फायरिंग के स्थान में होगा बदलाव

एलपीआर प्रबंधन ने धनुष एवं शारंग तोप के परीक्षण के लिए अलग इंतजाम किया है। इस तोप की बैरल का प्रूफ भीतर जाकर किया जाएगा। मौजूदा प्वाइंट से 2 से 3 किमी की दूरी पर फायर पिट लगाया जाएगा। ऐसे में धमक के साथ जो आवाज निकलेगी उसका नुकसान अधोसंरचना को नहीं होगा। गोला भी 8 से 10 किमी की दूरी पर जाकर पहाड़ पर गिरेगा। इसके लिए कुछ स्थान भी चिन्हित किए जा रहे हैं। इसकी पूरी योजना को अंतिम रूप देने का काम किया जा रहा है। ज्ञात हो कि फायरिंग दूसरी जगह करवाने में निर्माणियों को नुकसान होता है। परिवहन और दूसरे प्रकार के व्यय बढ़ते हैं। इस कारण उत्पादन भी गति नहीं पकड़ रहा है।

एलपीआर में धनुष और शारंग तोप की बैरल का परीक्षण हो सके, इसके लिए पुन: प्रयास किए जा रहे हैं। पहले परीक्षण से कुछ नुकसान होने की आशंका को ध्यान में रखकर इस पर रोक लगाई गई थी।

ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता, कमांडेंट एलपीआर खमरिया