सूत्रों के मुताबिक जब एक हाथी मर गया तब वन विभाग का अमला सक्रिय हुआ। कान्हा से विशेषज्ञों को बुलाकर माहवतों के माध्यम से लापता हाथी को ढूंढा गया। उसे सुरक्षित मंडला ले जाया गया। यदि यह कार्य समय रहते कर लिया जाता तो करंट जैसा हादसा नहीं होता। बताया जाता है गश्ती में भी कंजूसी की गई। वन विभाग के पास करीब 250 से 300 लोगों का स्टाफ है। डिवीन में 7 रेंज हैं। हर रेंज में करीब 40 से 45 लोगो का अमला पदस्थ हैं। इतना सारा बल होने के बाद भी 20 से 25 लोग ही लगाए गए। रात की गश्त नहीं की गई। न ही शिकारियों के बीच खौफ पैदा किया गया।
सीधी बात : अंजना सुचिता तिर्की, डीएफओ
सवाल-हाथी की मौत में लापरवाही की बात सामने आ रही है।
जवाब- जो यह घटना हुई है वह रेवेन्यू क्षेत्र में हुई है, जहां इलेक्ट्रिफिकेशन किया गया है। फिर भी हम पूरे क्षेत्र में एहतियात बरत रहे हैं।
सवाल- शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए विभाग क्या कर रहा है?
जवाब- शिकार को सभी की सतर्कता और सहयोग से रोका जा सकता है इसके लिए हम ग्रामीणों को भी जागरूक कर रहे हैं ।
सवाल -करंट जैसी घटनाएं ना हो इसके लिए क्या योजना है ?
जवाब-सभी फील्ड अधिकारियों से उनके क्षेत्र में जाने वाली विद्युत लाइनों की जानकारी ली है। निर्देश दिए हैं कि यदि उनके क्षेत्र में लाइन जा रही है तो सभी बीट गॉर्ड नजर रख गश्ती करेंगे।
सवाल-यदि वापस हाथी आते हैं तो विभाग कितना अलर्ट है?
जवाब- इसके लिए विभाग पूरी तरह अलर्ट पर है। गश्त को बढ़ाया है। गस्ती दल के माध्यम से वन परिक्षेत की सीमा पर पूरी निगरानी रखी जा रही है। फील्ड अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है।
सवाल-विभाग घटनाओं को रोकने क्या कर रहा है।
जवाब- वन परीक्षेत्र में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है ग्रामीणों को भी हिदायत दी गई है साथ ही विभाग को सूचित करने के लिए नंबर दिए गए हैं।