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जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने बैंक में अधिकारी के रूप में पदस्थ रहीं याचिकाकर्ता अभ्यर्थी को रजिस्ट्रार के पद की चयन प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि बैंक एक ऑटोनॉमस संस्था है। याचिकाकर्ता के वहां के अनुभव को दरकिनार नहीं किया जा सकता। मामला मप्र जेविवि में रजिस्ट्रार के पद पर चयन से जुड़ा है।
इंदौर निवासी दिव्या सिंह परिहार की ओर से पक्ष रखा। दलील दी कि राज्य शासन ने मप्र के विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया। विज्ञापन में अभ्यर्थी के लिए स्नातकोत्तर में 55 प्रतिशत और किसी भी शासकीय विभाग, संस्था, शिक्षण संस्था या स्वशासी संस्था में 10 वर्ष का कार्य अनुभव की अहर्ता निर्धारित की है। याचिकाकर्ता ने अधिकारी के रूप में 4 वर्ष कैनरा बैंक में काम किया है। वर्तमान में याचिकाकर्ता मप्र राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन में एजीएम के पद पर 6 वर्ष से कार्यरत है। याचिकाकर्ता के बैंक में किए गए कार्य के अनुभव को नकार दिया गया।
हाईकोर्ट ने होमगार्ड सैनिकों को सेवा में बने रहने की दी अनुमति
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट के न्यायाधीश शील नागू और न्यायाधीश विनय सराफ की युगलपीठ ने सीहोर व छिंदवाड़ा जिले के एक दर्जन से अधिक होमगार्ड सैनिकों को दो माह का कॉल ऑफ देने पर अंतरिम रोक लगाते हुए उन्हें सेवा में बने रहने की अनुमति दी है। गुरुवार को सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मामले को लंबित प्रकरणों के साथ संलग्न करने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 8 अप्रेल को हाेगी। छिंदवाड़ा के सचिन विश्वकर्मा, बृजेश शर्मा, संतोष उइके, राजेश उइके, सीहोर के मुकेश सिंह व किशोर लाल की ओर से अधिवक्ता विहाग दुबे ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ताओं को एक अप्रेल 2024 से 31 मई 2024 तक का कॉल ऑफ दिया गया है।
Published on:
05 Apr 2024 07:17 pm
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