किसानों के खेतों के साथ कृषि विवि के कैम्पस में भी इस विधि से उगाई फसल लहलहा रही है। इस विधि में बिना जुताई किए हुए किसानों द्वारा दूसरी फसल के रूप में गेहूं, सरसों, मटर, धान, मक्का, चना की यह फसल तैयार की गई है। इस तकनीकी से सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि खेत की तैयारी में लगने वाला एवं जुताई में खर्च किए जाने वाले पैसों की सीधी बचत होती है वहीं किसानों द्वारा नरवाई को जलाना बंद कर दिया गया है।