
नक्सली (File Photo - IANS)
Chhattisgarh Moves to Give Official Identity to Abhujmad: छत्तीसगढ़ के दक्षिणी अंचल में फैला अबूझमाड़, जो दशकों तक नक्सलवाद और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रशासनिक मानचित्र से बाहर रहा, अब पहली बार आधिकारिक पहचान की ओर बढ़ रहा है। नक्सल प्रभाव के अंतिम चरण में पहुंचने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने अबूझमाड़ का उपग्रह और ड्रोन आधारित डिजिटल मानचित्र तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
करीब 4,400 वर्ग किलोमीटर में फैला अबूझमाड़ नारायणपुर, बीजापुर,दंतेवाडा और बस्तर जिलों के बीच स्थित है और इसकी सीमाएं महाराष्ट्र तक जाती हैं। आज़ादी के बाद से अब तक इस विशाल क्षेत्र का कोई सरकारी सर्वे मानचित्र तैयार नहीं हो सका था, जिससे शासन की विकास योजनाएं, राजस्व सीमांकन और प्रशासनिक पहुंच सीमित बनी रही।
राजस्व और वन विभाग की संयुक्त टीम अब अबूझमाड़ के गांवों में मैदानी सर्वे कर रही है। प्रत्येक गांव का भौतिक सत्यापन पूरा होने के बाद ड्रोन और जीपीएस तकनीक से मिलान कर सटीक डिजिटल नक्शा तैयार किया जाएगा। गौरतलब है कि वर्ष 2017 में रामकृष्ण मिशन नारायणपुर ने स्थानीय जनजातीय समुदायों के सहयोग से हाथ से बनाया गया एक अधूरा भौगोलिक मानचित्र तैयार किया था, जो अब तक संदर्भ दस्तावेज के रूप में उपयोग में है।
पिछले एक साल में अबूझमाड़ क्षेत्र में 26 पुलिस कैंप स्थापित किए गए हैं, जिससे नक्सली गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण हुआ है। सुरक्षा हालात सुधरने के साथ ही प्रशासन की सीधी पहुंच बढ़ी है। डिजिटल मानचित्र बनने के बाद सरकारी योजनाओं को अबूझमाड़ के सुदूर गांवों तक तेजी से पहुंचाया जा सकेगा।
नारायणपुर कलक्टर प्रतिष्ठा ममगाई ने बताया कि राजस्व सर्वे की प्रक्रिया जिले में लगातार चल रही है। अबूझमाड़ का क्षेत्र बड़ा होने के कारण फिलहाल एनएच-130 डी के निर्माणाधीन गांवों से सर्वे शुरू किया गया है। नए गांवों के सर्वे लिए ग्रामीणों की सहमति मिल गई है । प्रथम चरण शीघ्र पूरा किया जाएगा।
Published on:
21 Dec 2025 04:25 am
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