वर्तमान स्थिति
– 150 से ज्यादा कैंसर मरीज प्रतिदिन आते हैं
– 53 बिस्तर हैं अस्पताल में मरीजों के
– 30 बिस्तर महिला व 23 पुरुष वार्ड में
– 04 कंसल्टेंट(डॉक्टर) कार्यरत हैं अस्पताल में।
(नोट : आंकड़े मेडिकल कॉलेज से प्राप्त जानकारी के अनुसार)
ये सुविधाएं मिलेंगी
– लीनियर एक्सेलेटर मशीन, यह कोबाल्ट की अत्याधुनिक तकनीक है
– पीडि़तों को आधुनिक व बेहतर इलाज मिलेगा, शोध करना सम्भव होगा,
– एंडोस्कोपी, ब्रांकोस्कोपी, कोलोस्कोपी, काल्पोस्कोपी व अन्य उपकरण
– कैंसर के विशेषज्ञ चिकित्सक, एकस्ट्रा स्किल्ड टेक्निशियन और स्टाफ
– आधुनिक ऑपरेशन थिएटर, वार्ड और अत्याधुनिक आइसीयू रहेंगे
– कैंसर मरीजों के लिए बिस्तर बढ़ेंगे, थैरेपी की प्रतीक्षा सूची कम होगी
मेडिकल कॉलेज में आसपास के जिलों के साथ ही विंध्य और बुंदेलखंड से भी मरीज जांच और इलाज के लिए आते हैं। जांच में मुख, गर्भाशय, स्तन, गॉल ब्लैडर के कैंसर के मरीज ज्यादा संख्या में मिल रहे हैं। कैंसर अस्पताल में सीमित बिस्तर, पुरानी मशीनें और थैरेपी के लिए प्रतीक्षा मरीजों की पीड़ा को और बढ़ा रही है। यहां आधुनिक ओटी और उपकरण नहीं होने से मरीज कई प्रकार की जांच और सर्जरी की सुविधा से वंचित हैं। मजबूरन उन्हें जांच और इलाज के लिए नागपुर, भोपाल और मुंबई जाना पड़ता है। स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में इलाज शुरू होने में विलम्ब के बीच अंचल को रेलवे से नई उम्मीद जगी है। शहर में रेलवे की जमीन पर टाटा समूह कैंसर हॉस्पिटल बनाने की सम्भावना तलाश रहा है। इसके लिए समूह के प्रतिनिधि ने कुछ दिन पहले पश्चिम मध्य रेलवे के अस्पताल, मुख्य स्टेशन के प्लेटफॉर्म-6 के पास जमीन और हाऊबाग स्टेशन की खाली जगह का मुआयना किया है। समूह ने कैंसर अस्पताल के लिए प्रारंभिक रूप से 40 हजार वर्ग फीट जमीन रेलवे से मांगी है। दोनों के बीच सहमति बनने पर जल्द ही कैंसर पीडि़तों को जांच और इलाज के लिए एक बड़ा और आधुनिक केंद्र शहर में उपलब्ध होगा।