जबलपुर। नर्मदा जयंती पर हर साल जबलपुर के ग्वारीघाट में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है। हर बार ग्वारीघाट पहुंच मार्ग पर यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है। इस साल भी दोपहर के बाद जगह-जगह जाम लगा। शाम को दुपहिया वाहनों की आवाजाही भी मुश्किल हो गई। लम्बे जाम के कारण वाहन रेंगते नजर आए। वाहनों के धुएं से राहगीरों का बुरा हाल था। जाम में कई एम्बुलेंस भी फं सी। इसके बावजूद जिला प्रशासन, नगर निगम, यातायात पुलिस इस समस्या का समाधान निकालने के लिए ठोस प्रयास नहीं कर रहे हैं। जबकि जानकारों का मानना है कि गंभीरता से प्रयास हों तो शहरवासियों को दो व्यवस्थित वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
वैकल्पिक मार्ग-1
छोटी लाइन ट्रैक : नैरोगेज ट्रेन बंद होने और ट्रैक उखाडऩे के बाद से रूट खाली है। निगम ने पूर्व में रेलवे से जमीन मिलने पर ट्रैक के स्थान पर ग्रीन कॉरीडोर के साथ एक्सप्रेस वे विकसित करने का प्रस्ताव बनाया था। जानकारों के अनुसार छोटी लाइन ट्रैक पर सड़क बनने से शहरवासियों को सुगम मार्ग मिलेगा। इस ट्रैक की लम्बाई लगभग सात किमी है।
वैकल्पिक मार्ग-2
ग्वारीघाट से भटौली-तिलहरी होते हुए शहर वापस लौटा जा सकता है। भटौली से तिलहरी की दूरी सात किमी और तिलहरी से शहर की दूरी 11 किमी है। पर्वों के दौरान इस मार्ग का उपयोग वैकल्पिक मार्ग के रूप में किया जा सकता है। तीन साल पहले नर्मदा जन्मोत्सव पर यह प्रयोग शुरू भी किया गया था। लेकिन, यह व्यवस्था एक साल ही चली। जानकारों के अनुसार इस मार्ग को व्यवस्थित और चौड़ा करने की आवश्यकता है।
जमीन की होना है अदला-बदली
नगर निगम प्रशासन और रेलवे के बीच करीब 50 एकड़ जमीन की अदला-बदली होनी है। इसमें छोटी लाइन के रेलवे ट्रैक से लेकर ग्वारीघाट में पुराने स्टेशन के आस-पास की जमीन का हस्तांतरण शामिल है। छोटी लाइन ट्रैक व अन्य जमीन के बदले नगर निगम ने गधेरी में जमीन देने के लिए रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मंत्रणा की थी। स्वीकृति बनने के बाद पश्चिम मध्य रेल ने रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजा था। रेलवे बोर्ड ने गधेरी में दी जाने वाली जमीन का सीमांकन कराने के लिए नगर निगम प्रशासन को पत्र लिखा है। इसके बाद निगम की ओर से जिला प्रशासन को आवश्यक प्रक्रिया पूरी कराने के लिए पत्र लिखा गया है।