
Villagers is drinking dirty water of the well here
जबलपुर. सिहोरा. मझौली तहसील से दस किमी दूर सुंदरपुर गांव के ग्रामीण भीषण गर्मी में कुएं का गंदा और मटमैला पानी के लिए मजबूर हैं। ग्राम पंचायत खितौला से लगे पांच सौ की आबादी वाले इस गांव में यह स्थिति करीब तीन सालों से बनी हुई है। सरकारी पदों पर बैठे अधिकारी जलसंकट का समाधान करने की बजाय आश्वासन देकर चले जाते हंै।
गुरुवार को शाम चार बजे के लगभग गांव की महिलाएं 15 फीट गहरे कुएं से मटमैला पानी पीने के लिए निकाल रही थीं। पूछने पर गांव की कंचन बर्मन, रमाबाई कोल, सखी बाई कोल, मीना कोल, मनीषा कोल ने बताया कि भीषण गर्मी में कुएं के अलावा पीने के पानी के लिए अन्य कोई साधन नहीं है। ऐसे में उन्हें कुएं का गंदा और मटमैला पानी पीना पड़ रहा है। तीन साल पहले यहां पर एक हैंडपम्प स्वीकृत हुआ था, लेकिन वह भी खितौला गांव में चला गया।
साइकिलों में प्लास्टिक के डिब्बों से ढोते हैं पानी
गांव के पंजी बर्मन, धनेश बैन, केदार बर्मन, उत्तम बर्मन ने बताया कि ग्राम स्थित कुआं 20 से 25 साल पुराना है। कुएं में पुरानी झिर रहने से उसका पानी रिस-रिस कर जमा हो जाता है। दो से तीन फीट पानी भरने पर ग्रामीण इसका उपयोग पीने और दूसरे कामों के लिए करते हैं। इस भीषण गर्मी में प्लास्टिक के डिब्बों को साइकिल में लादकर आसपास के गांवों के लोग एक से डेढ़ किमी दूर लेकर जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह कुआं नहीं होता तो यहां के लोग प्यासे ही मर जाते।
सुंदरपुर गांव में आखिर हैंडपम्प और पानी के दूसरे साधन क्यों नहीं हैं, इसकी जानकारी पीएचई विभाग से ली जाएगी। साथ ही ग्रामीणों को पीने का साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए जल्द से जल्द साधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
चंद्रप्रताप गोहिल, एसडीएम, सिहोरा
Published on:
01 Jun 2020 08:09 pm
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