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व्यापमं घोटाले पर हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी, आरोपी के लिए कही ये बात

locationजबलपुरPublished: Oct 24, 2020 01:44:50 pm

Submitted by:

Lalit kostha

व्यापमं घोटाले पर हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी, आरोपी के लिए कही ये बात
 

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए कहा कि आरोपी एक बार पांच साल तक फरार रह चुका है। ऐसे में जमानत पर रिहा किए जाने से उसके फिर से भाग जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस मत के साथ एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने व्यापमं घोटाले के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार कर उसकी अर्जी निरस्त कर दी।

हाईकोर्ट ने कहा : व्यापमं घोटाले के आरोपी की जमानत अर्जी निरस्त
पांच साल फरार रहा, अब जमानत दी तो फिर भागने की है सम्भावना

अभियोजन के अनुसार 15 जून 2014 को सागर के शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से जेल प्रहरी के पद पर नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित की जा रही थी। सह आरोपी सतीश भी परीक्षा दे रहा था। परीक्षा के दौरान पर्यवेक्षकों आसमान जैन और मीना जैन को सतीश पर सन्देह हुआ, क्योंकि वह बार बार अपनी गर्दन दायीं ओर झुका रहा था। तलाशी लेने पर उसकी शर्ट के अंदर दांए कंधे पर तांबे के तार से जुड़ी एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस चालू हालत में मिली। यह एक सेलो टेप के जरिए चिपका हुआ था, जिसमें सिम भी थी। इसी तरह शंका होने पर दूसरे कक्षों में बैठे आरोपियों नीरज सिकरवार व मधुसूदन को भी पकड़ा गया।

 

पूछताछ में पाया गया कि सभी आरोपी इन डिवाइस के जरिए स्कूल के बाहर दूर बैठे कुछ अन्य व्यक्तियों से परीक्षा प्रश्न पत्र हल करने में मदद ले रहे थे। पर्यवेक्षक ज्योति दुबे के पूछने पर आरोपियों ने बताया कि आरोपी नितिन शर्मा, भानु सिकरवार व प्रदीप कुमार त्यागी मदद कर रहे थे। आरोपियों, जब्त की गई डिवाइस, परीक्षा की ओएमआर शीट सहित अन्य जब्तशुदा सामग्री के साथ सागर के गोपालगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने जांच के उपरांत आरोपियों के खिलाफ भादवि की धाराओं 420, 120 बी, आईटी एक्ट व मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर अदालत में चालान पेश किया। बाद में मामला सीबीआई के सुपुर्द हो गया।

पांच साल रहा फरार- विचारण न्यायालय से जमानत मिलने के बाद आरोपी नितिन 10 जुलाई 2015 को कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ। इस पर विचारण न्यायालय ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। फिर भी हाजिर न होने पर 14 अगस्त 2015 को उसे फरार घोषित कर दिया। पांच साल फरार रहने के बाद साथ 16 मार्च 2020 को पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। 11 मई 2020 को जिला अदालत सागर ने आरोपी की अर्जी खारिज कर जमानत देने से मना कर दिया। इसी मामले में जमानत के लिए हाईकोर्ट में यह अर्जी पेश की गई।

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