
Waste To Energy Plant
जबलपुर. बिजली बनाने वाला कठौंदा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट 6 साल में बूढ़ा हो गया है। जापानी तकनीक पर संचालित होने वाले इस प्लांट का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे में कभी भी प्लांट में कोई बड़ी तकनीकी खराबी आ सकती है। इससे शहर में कचरा प्रोसेसिंग की समूची व्यवस्था ठप हो जाएगी। शहर में कचरे का पहाड़ लग जाएगा। दरअसल प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहा है। इसके कारण बिजली का उत्पादन कम हो गया है। आय घटने से प्लांट संचालित करने वाली ऐस्सेल कंपनी उसका मेंटेंनेंस नहीं करा रही है। प्लांट को दूसरी कंपनियों को बेचने के भी प्रयास किए गए, लेकिन किसी भी कंपनी ने प्लांट में रुचि नहीं दिखाई है। प्लांट को चालू रखने उसे निगम को अपने हाथों में लेना पड़ सकता है।
मौजूदा कंपनी के लिए प्लांट चलाना हो रहा है मुश्किल, नहीं मिल रहा कोई खरीददार
मेंटेनेंस की कमी से छह साल में बूढ़ा हो गया वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, ठप होने का डर
90 करोड़ रुपए होंगे खर्च
विशेषज्ञों के अनुसार नगर निगम अगर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का संचालन करता है तो इस पर शुरुआती खर्च 90 करोड़ के लगभग आएगा। इसे लेकर निगम प्रशासन अपने स्तर पर कई बैंकों से चर्चा भी कर रहा है।
कचरे का लग जाएगा पहाड़
पाटन, मझौली, सिहोरा से भी बड़े पैमाने पर कचरा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लाया जा रहा है। जानकारों के अनुसार कचरे में पत्थर, गिट्टी भी होती है। इसमें जलने योग्य कचरा कम होता है। इस कचरे का प्लांट में ढेर लगना शुरू हो गया है।
कठौंदा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थिति
●6 साल पहले शुरू हुआ था प्लांट
●178 करोड़ निर्माण लागत
●100 कर्मचारी हैं प्लांट में
●550 टन कचरा होता है इकट्ठा
●350 टन उपयोगी कचरा
●12.50 मेगावॉट प्लांट की बिजली उत्पादन क्षमता
●11.50 मेगावॉट बिजली का हो रहा है उत्पादन
प्लांट से आय
1.50 करोड़ से पौने दो करोड़ हो रही आय
2.50 करोड़ तक होती थी आय
प्लांट के संचालन की व्यवस्था में सुधार हो सके इसके लिए प्रयासरत हैं। इस दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं की प्लांट के मेंटेनेंस का काम हो।
क्षितिज सक्सेना, प्रभारी वेस्ट टू एनर्जी प्लांट
Published on:
18 Jul 2023 12:40 pm
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