
हाईकोर्ट
जबलपुर. मप्र हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि प्रदेश में निवासरत दिव्यांगों (पीडब्ल्यूडी) के लिए कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान क्या कदम उठाए गए? चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सरकार को नोटिस जारी कर 15 जून तक इस सम्बंध में अपना पक्ष पेश करने को कहा। अगली सुनवाई 17 जून नियत की गई। खंडवा जिला निवासी धर्मेंद्र गुर्जर की ओर से दायर जनहित याचिका में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इंदौर की अधिवक्ता शन्नो शगुफ्ता खान ने तर्क दिया कि 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य भर में 1551931 दिव्यांग निवासरत हैं। 2018 के एनएसएस (नेशनल सेम्पल सर्वे) के अनुसार इनमें से 23 प्रतिशत दिव्यांग ही रोजगार या नौकरी कर रहे हैं। तीन चौथाई अर्थात 77 फीसदी दिव्यांगों का जीवनयापन उनके परिजन के हवाले है। इनमें भी बड़ा तबका गरीब वर्ग का है। ऐसे में कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन से इनकी हालत बहुत खराब हो गई है। भोजन सहित अन्य सुविधाओं से वंचित हैं। कोई सरकारी मदद भी इन्हें नहीं मिल रही। इसकी वजह से अब इन लोगों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है।
दिव्यांगों की बदहाली को लेकर मप्र विकलांग मंच ने सीएम शिवराज सिंह को ज्ञापन देकर इनके लिए विभिन्न सहायता व राहत उपलब्ध कराने का आग्रह किया। खरगोन सांसद गजेंद्र पटेल को भी इस बारे में अवगत कराते हुए इन्हें राशन व नगद सहायता मुहैया कराने की मांग की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। याचिका में दिव्यांगों को तीन माह के लिए प्रतिमाह 2500 रुपए आर्थिक मदद दिलाने के साथ ही तीन माह की विकलांगता पेंशन का अग्रिम भुगतान व 25 किग्रा प्रतिमाह के हिसाब से तीन माह का राशन व अन्य जरूरी सामग्री उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। सरकारी अधिवक्ता ए. राजेश्वर राव ने नोटिस लेकर जवाब के लिए 15 जून तक का समय मांगा।
Published on:
05 Jun 2020 07:04 pm
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