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ई वेस्ट से कबाड़ी हो रहे मालामाल, पर्यावरण की चिंता करना भूले जिम्मेदार

ई वेस्ट से कबाड़ी हो रहे मालामाल, पर्यावरण की चिंता करना भूले जिम्मेदार  

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e waste

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मनीष गर्ग@जबलपुर/ पर्यावरण के लिए खतरनाक बन रहे इलेक्ट्रानिक कचरे का प्रबंधन, विनष्टीकरण व पुनर्चक्रण संस्कारधानी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। जिले में ई-कचरा प्रबंधन नियम-2016 का पालन नहीं होने से ई-कचरा विधिवत नष्ट होने के स्थान पर कबाडिय़ों को बेचा जा रहा है। नतीजा यह है कि ई-कचरा पर्यावरण के साथ ही सेहत के लिए खतरा बन रहा है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जिले में बीते दो वर्षों में दो-दो टन इलेक्ट्रानिक कचरा का ही कलेक्शन हुआ है।

रीसाइकिलिंग के लिए नहीं जा रहे उपकरण
कलेक्शन एजेंसी भी औपचारिकता कर रहीं
कबाडिय़ों को बेचा जा रहा ई-कचरा

जिले में आठ से दस टन ई-कचरा निकल रहा है, जो कि खुले बाजार में बिक रहा है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार जिले में इंदौर की एक एजेंसी को ई-वेस्ट कलेक्शन का कार्य दिया गया है। सम्बन्धित एजेंसी के द्वारा इलेक्ट्रानिक कारोबारियों सहित ई-वेस्ट क्रय करने वालों व इलेक्ट्रानिक उपकरणों का सुधार कार्य करने वाले सर्विस सेंटर, विभिन्न कार्यायलय, फैक्ट्री सहित अन्य स्थानों से समन्वय किया गया है। इनके द्वारा एजेंसी को संपर्क कर सर्विस सेंटर के बाद बदले गए खराब उपकरण, पुराने इलेक्ट्रानिक उपकरण सहित अन्य कबाड़ हो चुके उत्पादों का विधिवत विनिष्ट्रीकरण व ऐसे उपकरण जिनका पुर्नचक्रण हो सकता है। जिले में इलेक्ट्रानिक कचरा कलेक्शन के आंकड़ें देखे जाएं तो ये सिर्फ औपचारिकता ही साबित हो रहे हैं। एक ओर ई-कचरा संग्रह करने वाली एजेंसी की जहां कलेक्शन में रुचि नहीं है, वहीं प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी इसमें जागरुकता की दिशा में भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

सर्विस सेंटर भी जागरूक नहीं
सूत्रों के अनुसार जिले में प्रमुख कंपनियों के बड़ी संख्या में सर्विस सेंटर हैं, जहां प्रतिदिन मोबाइल, कम्यूटर, लेपटॉप, वाशिंग मशीन सहित अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों का सुधार कार्य किया जाता है। इनमें जो खराब उपकरण निकलते हैं वे कबाडिय़ों को बेच दिए जाते हैं।

कबाडिय़ों को रोकने की व्यवस्था नहीं
उधर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मान रहा है कि कबाड़ में बड़े पैमाने पर घरेलू उपयोग में आने वाले इलेक्ट्रानिक उपकरण बिक जाते हैं, परंतु इन्हें रोकने के लिए रणनीति नहीं है। विभाग के द्वारा यह कार्य कलेक्शन एजेंसी का होना बताया जाता है और सूत्र बताते हैं कि कलेक्शन एजेंसी परिवहन से बचने के लिए यहां से ज्यादा इलेक्ट्रानिक कचरा क्रय नहीं करती है।

यह हो रहा नुकसान
कबाड़ी ई कचरे को क्रय करने के बाद इसे अपने तरीके से तोड़ते हैं। वे इसका प्लास्टिक, मेटल व वायर सहित अन्य उपकरण अलग-अलग करते हैं जो अनुपयोगी होते हैं उन्हें खुले में फेंक देते हैं। इसमें हेवी मेटल मर्करी, लेड, कैडमियम, निकेल, क्रो मियम,एंटीमनी, आर्सेनिक, बेरिलियम, का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए घातक हैं सहित खतरनाक केमिकल होते हैं जो भूमिगत जल व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

यह है स्थिति
जिले में बीते दो वर्षो के दौरान कुल संग्रह ई कचरा
2019-20 - 2 टन
2020-21 - 2 टन

यह है नियम
ठ्ठई कचरा प्रबंधन नियम 2016 के प्रावधान
ठ्ठई कचरा का विनिष्टीकरण व रिसाइकलिंग

ये है नुकसान
ठ्ठई-कचरा में पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मेटल
ठ्ठविनष्टीकरण नहीं होने से हवा, मिट्टी और भूमिगत जल को कर रहे प्रदूषित


जागरुकता के लिए अभियान चला रहे
ई कचरा का विनिष्टिकरण व रिसाइकलिंग इंदौर में होता है। इसके लिए एक एजेंसी को ई कचरा कलेक्शन के लिए अधिकृत किया है। एजेंसी के द्वारा विभिन्न इलेक्ट्रानिक उत्पाद विक्रेताओं, मोबाइल, पुराने व खराब टीवी, सर्विस सेंटर में बदले गए उपकरण विक्रेताओं सहित अन्य तरह के उत्पादों के विक्रेताओं से संपर्क कर ई कचरा कलेशन के लिए कहा गया है। जिले में ई कचरा कलेक्शन बढ़ाने की दिशा में समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशाला भी आयोजित की जाती है। ई कचरा कबाडिय़ों तक न पहुंचे। विशेष प्रावधान किए जाएंगे।
- आलोक जैन, क्षेत्रीय प्रबंधक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड