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बिना परमिट दौड़ रहे ऑटो रिक्शों के मामले में क्या है नीति, पेश करो

locationजबलपुरPublished: Feb 15, 2021 08:35:02 pm

Submitted by:

prashant gadgil

हाईकोर्ट का राज्य सरकार को निर्देश
 

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जबलपुर . मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि प्रदेश भर में बिना परमिट के अवैध रूप से चल रहे ऑटो रिक्शों के मामले में क्या नीति है? चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस संजय द्विवेदी की डिवीजन बेंच ने पहले इस सम्बंध में दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करने के भी निर्देश दिए। अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। अधिवक्ता सतीश वर्मा व नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायर याचिकाओं में कहा गया कि शहर में चल रहे ऑटो रिक्शा कॉंट्रैक्ट कैरिज परमिट की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। इन अवैध ऑटो रिक्शों व इनकी धमाचौकड़ी पर नियंत्रण करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। आग्रह किया गया कि इस मनमानी पर लगाम लगाई जाए। ओवरलोडिंग रोकी जाए। मनमाना किराया वसूली रोकने के लिए किराया सूची सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा की जाए। सोमवार को स्वयं याचिकाकर्ता अधिवक्ता सतीश वर्मा व नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के 30 सितम्बर के आदेश का पालन अब तक नहीं हुआ। जिसमें कोर्ट ने अवैध ऑटो रिक्शों का संचालन रोकने को कहा था। उन्होंने तर्क दिया कि अन्य महानगरों की तुलना में जबलपुर में ऑटो रिक्शों की व्यवस्था ध्वस्त है। यहां करीब 5 हजार अवैध ऑटो बिना परमिट के दौड़ रहे हैं। कोर्ट अब तक कई निर्देश दे चुकी है। लेकिन पालन के नाम पर दिखावा हो रहा है। सोमवार को आरटीओ जबलपुर का शपथ पत्र पेश कर बताया गया कि इंदौर में 23 हजार से ज्यादा ऑटो चल रहे हैं। जिसमे से 10 हजार बिना परमिट के है। इसी तरह भोपाल में 15 हजार में से अधिक ऑटो बिना परमिट के चल रहे है। इंदौर और भोपाल में जबलपुर की अपेक्षाकृत ट्रैफिक की स्थिति बेहतर है। परिवहन आयुक्त द्वारा सभी आरटीओ कलेक्टर और एसपी को ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए कहा गया है। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि अधिकारियों द्वारा सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ाया जा रहा हैं। सरकार का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा ने रखा।

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