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महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों को क्यों हटाया

हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा, दो दिन में जवाब पेश करने के निर्देश

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Mp High Court Jabalpur

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जबलपुर. मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने उस याचिका को गम्भीरता से लिया, जिसमें महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों (शासकीय, उप शासकीय अधिवक्ताओं) को कार्यकाल शेष रहते हुए हटाने को चुनौती दी गई। जस्टिस नन्दिता दुबे की एकलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि ऐसा क्यों किया गया। कोर्ट ने दो दिन के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश देकर अगली सुनवाई 11 मई नियत की।

जबलपुर के अधिवक्ताओं अभिनव दुबे, अमिताभ गुप्ता, इश्तेयाक हुसैन, ब्रजेश दुबे, अभय पांडे, दीपक सिंह, विकल्प सोनी, विशाल यादव, अंजना कुररिया, जावेद अर्शी शाह, सत्येंद्र ज्योतिषी, अर्पित तिवारी की ओर से याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रायन डिसिल्वा के साथ अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि प्रारम्भिक पांच को 20 दिसम्बर 2019 व शेष को 31 जनवरी 2019 को महाधिवक्ता कार्यालय में शासकीय एवं उप शासकीय अधिवक्ता के पदों पर नियुक्त किया गया। 15 मार्च 2020 को सभी का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया। लेकिन, प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही नौ अप्रैल को नई भाजपा सरकार ने एक आदेश जारी कर सभी याचिकाकर्ताओं को हटाने के आदेश दे दिए। जबकि विधि विभाग के नियमों के अनुसार महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों को एक साल का बढ़ा कार्यकाल पूरा करने के पूर्व बिना किसी समुचित कारण के नहीं हटाया जा सकता।

इसके अलावा बिना मंत्रिमंडल के अकेले मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर राज्यपाल के नाम से उक्त आदेश जारी किया गया। यह असंवैधानिक है। हटाने का आदेश जारी करने के पूर्व याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया। उक्त आदेश को गैरकानूनी बताते हुए निरस्त करने का आग्रह किया गया। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता डीके गंगराडे को दो दिन में सरकार का पक्ष पेश करने के निर्देश दिए।