डुमना नेचर रिजर्व में क्यों बना रहे टाइगर सफारी
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, नगर निगम, केंद्रीय जू अथॉरिटी व कलेक्टर को नोटिस जारी कर पूछा

जबलपुर. शहर के डुमना नेचर रिजर्व में टाइगर सफारी बनाने की जिला प्रशासन व वन विभाग की योजना को चुनौती पर मप्र हाइकोर्ट ने गम्भीरता दर्शाई। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार, जबलपुर नगर निगम, सेंट्रल जू अथॉरिटी, जबलपुर कलेक्टर व अन्य से पूछा कि ऐसा क्यों किया जा रहा है। तीन याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 7 अक्टूबर तक जवाब मांगा। जबलपुर निवासी जगत जोत सिंह, फ्लोरा निकिता खम्परिया, विवेक शर्मा की ओर से पहली, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दूसरी व रिटायर्ड कर्नल एके रामनाथन, एरिक डी सुन्हा व रुद्राक्ष पाठक की ओर से तीसरी याचिका दायर की गई। इन याचिकाओं की सुनवाई एक साथ हुई। अधिवक्ता मनोज शर्मा, अंशुमन सिंह, दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि डुमना नेचर पार्क जबलपुर का एकमात्र संरक्षित वन क्षेत्र है। यहां वन्य जीवों की विविधता मे बहुतायत है। लेकिन जिला प्रशासन व वन विभाग यहां एक कृत्रिम टाइगर सफारी निर्माण की तैयारी कर रहा है। तर्क दिया गया कि चिडियाघर की तर्ज पर बनाई जाने वाली टाइगर सफारी के बनने से पार्क में वन्य जीवन के लिए अवांछित गतिविधियां आरम्भ हो जाएंगी। इससे न केवल यहां के वन्य जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ेगा, बल्कि प्राकृतिक पर्यावरण भी प्रदूषित होने की आशंका है। आग्रह किया गया कि कुदरत के साथ होने वाली छेड़छाड़ को रोका जाए। तर्क दिया गया कि टाइगर सफारी का निर्माण शहर में अन्यत्र कहीं भी किया जा सकता है। इसके लिए संरक्षित वन क्षेत्र का चयन अनुचित और कानून के खिलाफ है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके कौरव के साथ उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली, नगर निगम की ओर से अधिवक्ता हरप्रीत सिंह रूपराह व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर स अधिवक्ता अनूप नायर उपस्थित हुए।
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