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जबलपुर

काश कि BJP का 2014 का वह वादा पूरा होता तो किसी बच्चे की पढ़ाई न होती बाधित

विद्यार्थियों संग अभिभावकों को भी याद आने लगी 2014 की भाजपा की वह घोषणा

जबलपुरSep 27, 2020 / 01:49 pm

Ajay Chaturvedi

स्मार्ट फोन से पढ़ती छात्रा

स्मार्ट फोन से पढ़ती छात्रा

जबलपुर. विद्यार्थी और उनके अभिभावकों को याद आ रही है 2014 में भाजपा सरकार की वह घोषणा जिसके तहत स्नातक के विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन देने का वादा किया गया था। वादे को अमल में लाने का प्रयास शुरू भी हुआ लेकिन बीच में ही योजना ने दम तोड़ दिया। अब लोगों को उस घोषणा की याद सता रही है। लोग यह कहते पाए जा रहे हैं कि अगर भाजपा सरकार अपने वादे को अमल में लाती तो आज विद्यार्थियों को कोई दिक्कत न होती। सबके पास एक स्मार्ट फोन होता जिससे वो घर बैठे इस कोरोना काल में भी अपनी शिक्षा जारी रख पाते।
स्मार्ट फोन वर्तमान की बेसिक नीड बन गई है। खास तौर पर इस कोरोना काल में सब कुछ संभव है, इस फोन के जरिए। अब तो सारे कामकाज भी इसी के माध्यम से आसानी से निबट जा रहे हैं। स्मार्ट फोन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को काफी हद तक पूरा किया है। लेकिन आज भी ग्रामीण अंचल में ऐसी बड़ी जमात है जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं। शहरों में भी मजदूर वर्ग इससे वंचित है। यही वजह है कि कोरोना काल में जब पूरे देश में ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया जा रहा है तो वो बच्चे जिनके माता-पिता के पास ऐसा फोन नहीं है उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है। साथ ही वो हीन भावना के शिकार हो रहे हैं।
बता दें कि उच्च शिक्षा विभाग ने 2014 में स्मार्ट फोन वितरण की योजना लागू की। शुरू में प्रदेश भर में स्मार्ट फोन वितरित किया भी गया। लेकिन बाद में वितरण व्यवस्था को लेकर विवाद खड़ा हो गया। कई विद्यार्थियों ने स्मार्ट फोन की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए। इधर सरकार की तरफ से भी खरीद प्रक्रिया को लेकर कई आरोप लगने से कुछ समय तक फोन का वितरण नहीं किया गया। सत्र 2017-18 से स्मार्ट फोन का वितरण पूरी तरह से बंद हो गया। विद्यार्थी फोन के लिए इंतजार करते रहे लेकिन किसी को फोन नहीं मिला। साल 2018 में भाजपा सत्ता से अलग हुई और कांग्रेस सरकार आई। फिर भी इस योजना को लेकर कोई पहल नहीं हुई। विधानसभा सत्र में भी सरकार से स्मार्ट फोन योजना पर जवाब मांगा गया, लेकिन सरकार ने साफ तौर पर योजना को बंद करना स्वीकार्य तो नहीं किया लेकिन इसमें जरूरी बदलाव करने की बात कही। अब वापस सत्ता में भाजपा सरकार है ऐसे में विद्यार्थियों को उम्मीद है कि उन्हें स्मार्ट फोन मिल पाएगा।
2014 में शुरू हुई योजना के तहत सरकारी कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को 75 फीसद हाजिरी होने पर स्मार्ट फोन की पात्रता तय की गई। योजना का उद्देश्य विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करना था। फोन के माध्यम से विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल कर पाए। लेकिन दो साल से योजना ठंडे बस्ते में है। अब फिर से लोगों ने आवाज उठानी शुरू की है। उनका कहना है कि कोरोना काल में अगर सरकार इस योजना को पुनः लागू करे तो हजारों छात्र-छात्राओं का जीवन सुधर जाए।
“स्मार्ट फोन को लेकर फिलहाल शासन स्तर पर कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है। जैसे ही कोई आदेश होगा उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।”-डॉ.लीला भलावी, क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा जबलपुर संभाग

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