आसान हुआ सबकुछ
वॉइस टाइपिंग की मदद से लोगों के प्रोजेक्ट बन रहे हैं।
कविताओं को लिखने की जगह वॉइस टाइपिंग से लिखा जा रहा।
बड़े टेक्स्ट भी वॉइस टाइपिंग से किए जा रहे हैं आसान।
वॉइस टाइपिंग की मदद से लोगों के प्रोजेक्ट बन रहे हैं।
कविताओं को लिखने की जगह वॉइस टाइपिंग से लिखा जा रहा।
बड़े टेक्स्ट भी वॉइस टाइपिंग से किए जा रहे हैं आसान।
1980 का एक दौर था
शहर में 1980 का समय ऐसा था जब हर किसी वर्ग के बीच टाइपिंग सीखने की होड़ नजर आने लगी थी। सरिता माहानी बताती हैं कि 80 के दशक में हर कोई टाइपराइटर पर अंगुलियों को नचाना चाहता था। टाइपिंग की परीक्षा पास करना मतलब हाथों में नौकरी का होना होता था।
शहर में 1980 का समय ऐसा था जब हर किसी वर्ग के बीच टाइपिंग सीखने की होड़ नजर आने लगी थी। सरिता माहानी बताती हैं कि 80 के दशक में हर कोई टाइपराइटर पर अंगुलियों को नचाना चाहता था। टाइपिंग की परीक्षा पास करना मतलब हाथों में नौकरी का होना होता था।
शहर में अब भी काम
टाइपराइटर से काम करना भले ही पुराना चलन हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी शहर में टाइपराइटर से काम होता है। इसमें हाइकोर्ट में नोटरी के कामों के लिए टाइपराइटर का उपयोग सबसे ज्यादा है। शहर में कई दुकानें हैं, जहां पर टाइपराइटर से ही मैटर को कम्प्लीट होता है।
टाइपराइटर से काम करना भले ही पुराना चलन हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी शहर में टाइपराइटर से काम होता है। इसमें हाइकोर्ट में नोटरी के कामों के लिए टाइपराइटर का उपयोग सबसे ज्यादा है। शहर में कई दुकानें हैं, जहां पर टाइपराइटर से ही मैटर को कम्प्लीट होता है।
अब भी है टाइपिंग बेस
टेक्नोलॉजी के जमाने में भी अब भी युवा वर्ग टाइपिंग स्किल को बढ़ाने के लिए टाइपराइटर के बेस को जरूरी मानते हैं। सीपीटीसी एग्जाम और टाइपिंग की अन्य परीक्षाओं के लिए वे टाइपराइटर्स से बेसिक क्लास की शुरुआत वर्तमान में करते हैं।
वॉइस टाइपिंग से आया बदलाव
स्कूल टीचर विनीता पैगवार बताती हैं कि मोबाइल आने के बाद वॉइस टाइपिंग के फीचर ने काफी कुछ बदलाव किए हैं। हालांकि इसमें भाषागत कुछ त्रुटियां कभी-कभी आती हैं, लेकिन समय के पहले काम करने के लिए यह बेहतर है।
कॉलेज के समय ट्रेंड था
साइकोलॉजिस्ट एंड काउंसलर नीलिमा देशपाण्डे का कहना है कि कॉलेज के दिनों में 30 साल पहले तक टाइपराइटर सीखने का बड़ा महत्व था। लॉ कॉलेज में थे, तो खुद की टाइपिंग का काम हो जाता था।
टेक्नोलॉजी के जमाने में भी अब भी युवा वर्ग टाइपिंग स्किल को बढ़ाने के लिए टाइपराइटर के बेस को जरूरी मानते हैं। सीपीटीसी एग्जाम और टाइपिंग की अन्य परीक्षाओं के लिए वे टाइपराइटर्स से बेसिक क्लास की शुरुआत वर्तमान में करते हैं।
वॉइस टाइपिंग से आया बदलाव
स्कूल टीचर विनीता पैगवार बताती हैं कि मोबाइल आने के बाद वॉइस टाइपिंग के फीचर ने काफी कुछ बदलाव किए हैं। हालांकि इसमें भाषागत कुछ त्रुटियां कभी-कभी आती हैं, लेकिन समय के पहले काम करने के लिए यह बेहतर है।
कॉलेज के समय ट्रेंड था
साइकोलॉजिस्ट एंड काउंसलर नीलिमा देशपाण्डे का कहना है कि कॉलेज के दिनों में 30 साल पहले तक टाइपराइटर सीखने का बड़ा महत्व था। लॉ कॉलेज में थे, तो खुद की टाइपिंग का काम हो जाता था।