
मिश्री के भोलेनाथ
जबलपुर।
श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना का क्रम जारी है। इस बार सावन के महीने में पुरुषोत्तम मास भी शामिल है। सावन के महीने में पुरुषोत्तम मास पड़ने से इसका महत्व बढ़ गया है। इसलिए शिवभक्त इस बार सावन में विशेष मनोरथों की पूर्ति की कामना लेकर भगवान भोलेनाथ की आराधना कर रहे हैं। अलग-अलग मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग तरह के शिवलिंग बनाकर उनका अभिषेक, पूजन किया जा रहा है। कोई आटे का शिवलिंग बनाकर पूजन कर रहा है, तो कोई गुड़, मिश्री से शिवलिंग निर्माण कर आराधना कर रहा है। कुछ भक्त सोने, चांदी, मोती,पारद, स्फटिक के शिवलिंगों का अभिषेक, पूजन कर रहे हैं। सावन के दो महीनों में हर दिन भोलेनाथ के विशेष शिवलिंगों का पूजन होगा।
आटा, दही, बांस से बन रहे शिवलिंग-
शिवभक्त जौ, गेहूं और चावल के आटे को समान भाग में मिलाकर शिवलिंग बना रहे हैं। मान्यता है कि सावन मास में इस शिवलिंग की पूजा से सुख-समृद्धि और संतान की प्राप्ति के साथ ही रोग से भी बचाव होता है। संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर श्रद्धालु बांस के अंकुर से बने शिवलिंग की पूजा कर रहे हैं। दही को कपडे में बांधकर निचोड़ देने के पश्चात उससे शिवलिंग बनाकर उसका पूजन किया जा रहा है। पुजारी मनोज तिवारी बताते हैं कि इससे समस्त सुख एवं धन की प्राप्ति होती है।
दूर्वा, फल, बाम्बी की मिट्टी का भी पूजन-
श्रावण व पुरुषोत्तम मास के संगम पर शिवभक्त मनोरथों की पूर्ति के लिए प्रकृति से उद्भूत वस्तुओं के शिवलिंग बनाकर पूजन कर रहे हैं। अलग अलग मनोकामनाओं को लेकर आंवला, दूर्वा , फूल,पीपल की लकड़ी व बाम्बी(बिबर) की मिट्टी से शिवलिंग बनाकर अभिषेक किया जा रहा है। ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला ने बताया कि आंवले से बने शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से मुक्ति प्राप्त होती हैं।
दुर्वा को शिवलिंग के आकार में गूंथकर उसकी पूजा करने से अकाल-मृत्यु का भय दूर हो जाता है। बिबर की मिट्टी के बने शिवलिंग का पूजन विषैले प्राणियों से रक्षा करता है। पीपल की लकडी से बना शिवलिंग दरिद्रता का निवारण करता है। फूलों से बने शिवलिंग कि पूजा से भूमि-भवन की प्राप्ति होती है।
मिश्री, गुड़ के भोलेनाथ-
स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के निदान के लिए श्रद्धालु मिश्री से बने शिवलिंग का अभिषेक कर रहे हैं। गम्भीर बीमारी से छुटकारा पाने व परिजनों के स्वास्थ्य लाभ की कामना के लिए भी मिश्री के शिवलिंग की पूजा हो रही है। भक्त गुड़ और अन्न को मिला कर भी शिवलिंग बना रहे हैं। शिवपूजक रामचन्द्र शर्मा का कहना है कि घर में अन्न की कमी न हो या खेत में खूब अन्न उपज की मनोकामना के लिए पुरुषोत्तम सावन मास में गुड़ और अन्न के बने शिवलिंग का अभिषेक व पूजन करते है। पं उदय कृष्ण शास्त्री ने बताया कि सावन में मिश्री व गुड़ से बने शिवलिंग का पूजन अति शुभ है।
पारा, धातुओं, रत्न के शिवलिंग का अर्चन-
विभिन्न मनोकामनाएं लेकर श्रद्धालु सावन व पुरुषोत्तम मास में धातुओ,रत्नों से बने शिवलिंग की पूजा आराधना कर रहे हैं। लंबी आयु के लिए तांबे के शिवलिँग , जीवन में हर प्रकार के सुख की प्राप्ति के लिए पीतल के शिवलिंग की पूजा की जा रही है।
अखंड सुहाग और सौभाग्य की कामना के साथ महिलाएं खास तौर पर मोती के शिवलिंग की पूजा कर रही हैं। पारद यानी पारा या मर्करी से बना शिवलिंग पुराणों में सर्वोत्तम माना गया है। सुख-शांति, सौभाग्य और बढ़ोतरी के लिए पारद शिवलिंग की पूजा हो रही है। समृध्दि के लिए चांदी के बने शिवलिंग का अभिषेक किया जा रहा है। शत्रु को नष्ट करने के लिए लहसुनिया रत्न के शिवलिंग की पूजा की जा रही है। रामलला मन्दिर के पुजारी पं मनोज तिवारी ने बताया कि पुरुषोत्तम सावन मास में रत्नों व श्रेष्ठ धातुओं के शिवलिंग बनाकर पूजन करने से मनवांछित फल मिलता है।
Published on:
15 Jul 2023 12:05 pm
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