इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ट्रेड से बी-टेक कर रहे जबलपुर निवासी मोहम्मद असद मंसूरी ने वेंटिलेटेड पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (वीपीपीई) नामक इस उपकरण के बारे में बताया कि इसे कमर में बांध कर पीपीई किट से जोड़ा जा सकता है। ऐसा करने से यह टूल पीपीई किट को वातानुकूलित बनाए रखेगा। वजन में हल्का होने के कारण इसे घंटों तक इस्तेमाल किया जा सकता है। जिला प्रशासन ने इसकी सराहना करते हुए चिकित्सा विभाग के माध्यम से एक प्रस्ताव इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को भेजा है। साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इसका प्रेजेंटेशन भेजा गया, जहां से इसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के विचारार्थ प्रेषित किया जा चुका है।
असद को उम्मीद है कि आविष्कार सभी की कसौटी पर खरा और उपयोगी सिद्ध होगा। स्वीकृति मिलने के बाद इसके उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकेगा। असद का कहना है कि इस उपकरण में उन्होंने एरोडायनेमिक्स तकनीक का उपयोग किया है। यह तकनीक रॉकेट के इंजन को ठंडा करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। फिलहाल यह प्रोटोटाइप है, जिसे और भी छोटा, हल्का और बेहतर बनाया जा सकेगा, ताकि आसानी से कमर पर बांधा जा सके।
इससे निकलने वाला एक पाइप पीपीई किट के अंदर ठंडी हवा का बहाव करेगा। एक बार चार्ज करने पर मशीन पांच से छह घंटे तक चलेगी। उपकरण को बनाने में 3500 रुपए लागत आई है, जिसे कम किया जा सकता है। असद ने बताया कि इस उपकरण में छह लेयर वाली फिल्टर फ्लापी लगाई गई है, जिसमें से हवा तो पास हो जाएगी, लेकिन कोई भी सूक्ष्मजीव या वायरस इसके पार नहीं जा पाएगा। फिल्टर फ्लापी की कीमत 20 रुपये है। फिल्टर को छह से आठ घंटे में बदलना होगा।
असद ने कॉलेज के अलावा पिता की मोबाइल रिपेयरिंग शॉप का भी लैब के रूप में उपयोग किया और लॉकडाउन के दौरान चार माह में इसका प्रोटोटाइप तैयार कर दिखाया। अब ऑर्डर मिले तो वे एक दिन में 25 मशीनें बना सकते हैं।
ये है खासियत उपकरण : पीपीई किट को ठंडा करने वाला उपकरण वजन : 800 ग्राम तकनीक : एयरोडायनेमिक्स लागत : 3500 रुपये पेटेंट : स्वीकृत