13 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

310 नक्सल पीड़ित परिवारों के नसीब में नौकरी भी नहीं… गरीब आदिवासियों की 21 हजार पदों पर हो सकती है भर्ती

CG Naxal Terror: बस्तर संभाग में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 21 हजार से अधिक पद रिक्त हैं जिन पर पीड़ितों की नियुक्ति की जा सकती है।

2 min read
Google source verification
naxal_area.jpg

मनीष गुप्ता

Bastar Naxal Terror: प्रदेश में नक्सल हिंसा पीड़ित पुनर्वास योजना भेदभाव का शिकार हो गई है। बस्तर संभाग के 310 नक्सल पीड़ित वारिस नौकरी और मुआवजा मिलने का दशकों से इंतजार कर रहे हैं। जनवरी 2024 को जारी सरकारी आंकड़े बताते है कि बस्तर संभाग में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 21 हजार से अधिक पद रिक्त हैं जिन पर पीड़ितों की नियुक्ति की जा सकती है।

नक्सल पीड़ित परिवार के सुखराम माड़वी का कहना कि हम लोग सभी जगह गुहार लगा चुके है लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है हमें नौकरी की जगह मजदूरी का ऑफर दिया जा रहा है, जबकि कई रसूखदारों को डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी बनाया जा रहा है, लेकिन सरकार हमें बाबू और शिक्षक बनाने को तैयार नहीं है।

ये है नक्सल हिंसा पीड़ित पुनर्वास योजना

नक्सल हिंसा से यदि किसी व्यक्ति या परिवार के ऐसे सदस्य की हत्या होती है जो कि परिवार का मुखिया हो उसके न रहने से परिवार का जीविकोपार्जन प्रभावित हो ऐसे पीडि़त परिवार के किसी एक व्यक्ति को अनुकंपा की तर्ज पर शासकीय नौकरी दी जाएगी और पांच लाख रुपए केन्द्रीय राहत योजना के तहत प्रदान किए जाएंगे। यही नहीं स्थायी रूप से असमर्थ व्यक्ति को तीन लाख नगद तथा गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को दो लाख की सहायता दी जाएगी। गौरतलब है कि अनुकंपा नियुक्ति के प्रावधानों में सरकार द्वारा तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नियमित नौकरी दी जाएगी। यदि नौकरी नहीं चाहते तो मुआवजा की अतिरिक्त राशि प्रदान की जाएगी।


130 पीडि़त मजदूरी दर पर कर रहे नौकरी

नौकरी के प्रावधानों के बावजूद अफसरों ने बस्तर में 38, दंतेवाड़ा 38, कांकेर 1, बीजापुर 2, कोण्डागांव 24 तथा नारायणपुर में 27 पीडि़त आकस्मिक निधि से कलेक्टर दर पर अस्थायी रूप से भृत्य, जलवाहक और रसोइया के पद पर नियुक्त किया गया है। जबकि इन जिलों में सैकड़ों की संख्या में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पद रिक्त हैं और इन पदों के विरूद्ध लगातार नियुक्तियां भी हो रही है, लेकिन इनका नियमितिकरण नहीं हो पा रहा है।


मुखबिरी का आरोप लगाकर की अधिकांश हत्याएं

नक्सलियों ने अधिकांश ग्रामीणों की हत्या मुखबिरी के आरोप में की है। प्रभावित गांव में नक्सली ग्रामीणों को पुलिस एवं प्रशासन से दूर रहने की हिदायत देते हैं यदि उनकी बात नहीं मानी जाती तो नक्सली पहले धमकी देते हैं और फिर बाद में उसकी हत्या कर देते हैं।


310 पीडि़त कर रहे नौकरी का इंतजार

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद बस्तर संभाग के 2908 परिवार नक्सल हिंसा का शिकार हुए हैं। जिनमें 1618 परिवारों के मुखियाओं की नक्सली हत्या कर चुके हैं। इनमें से 577 पीडि़तों को नौकरी मिल चुकी हैं। वहीं 1488 पीडि़तों को नौकरी के बजाय एक मुश्त आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। शेष 310 पीडि़त अब भी नौकरी और मुआवजा की आस लगाए बैठे हैं। एक पीडि़त ने बताया कि हम समस्त दस्तावेज जमा कर नौकरी प्राप्त करने दफ्तरों के लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक हमारी सुनवाई नहीं हो पाई है।

नक्सली पीडि़त पुनर्वास योजना की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। कई बार परिवार की परिभाषा भी बदली है। वर्ष 2014 के बाद नई नीति बनी है। उसी के मुताबिक पुनर्वास योजना का लाभ दिया जाता है। यदि किसी का नाम छूट गया होगा तो हम उसकी समीक्षा कर नियमानुसार उसे योजना का लाभ दिलवाने का प्रयास करेंगे।

- सुंदरराज पी, आईजी बस्तर