
Bastar Dussehra 2024: 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा महोत्सव की पहली रस्म पाट जात्रा विधान रविवार को हुई। इस रस्म के लिए बिलोरी गांव से साल के तने को जगदलपुर लाया गया। इसे राजमहल की ड्योढ़ी के सामने रखकर पूजा विधान किया गया। इस साल दशहरा ( Chhattisgarh Festival ) की सबसे खास बात यह है कि इसकी पूरी रस्म जो 75 दिन में पूरी होती थी। इस साल यह 77 दिन में पूरी होंगी।
दंतेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी कृष्ण कुमार पाढ़ी ने बताया कि मावली माता की डोली मंगलवार और शनिवार को जगदलपुर से विदा होती है। लेकिन इस साल कुटुंब जात्रा विधान बुधवार को पड़ रहा है। इसलिए गुरुवार को माता को विदाई नहीं की जाएगी। बुधवार और शनिवार के बीच में दो दिन का अंतराल होने से यह पर्व 77 दिन चलेगा।
वर्ष 1408 में काकतीय शासक पुरुषोत्तम देव को ओडिशा के जगन्नाथपुरी में रथपति की उपाधि दी गई थी। यहा से उन्हें 16 पहियों वाला एक विशाल रथ भेंट किया गया था। राजा पुरुषोत्तम देव ने जगन्नाथ पुरी से वरदान में मिले 16 चक्कों के रथ को चार चक्कों और 12 चक्कों वाले रथ में बांट दिया था।
4 अगस्त , पाट जात्रा पूजा विधान
16 सितंबर, डेरी गड़ाई पूजा विधान
2 अक्टूबर, काछनगादी पूजा विधान
3 अक्टूबर, कलश स्थापना पूजा विधान
4 अक्टूबर,जोगी बिठाई पूजा विधान
5 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक फूल रथ परिक्रमा विधान
10 अक्टूबर, बेल पूजा विधान
11 अक्टूबर, निशा जात्रा पूजा विधान
12 अक्टूूबर, जोगी उठाई पूजा विधान और मावली परघाव पूजा विधान
13 अक्टूबर, भीतर रैनी पूजा विधान
14 अक्टूबर, बाहर रैनी पूजा विधान
15 अक्टूबर, काछन जात्रा पूजा विधान और मुरिया दरबार
16 अक्टूबर, कुटुंब जात्रा पूजा विधान और देवताओं की विदाई
19 अक्टूबर , मावली माता जी की डोली की विदाई
Content By- अजय श्रीवास्तव
Updated on:
05 Aug 2024 02:14 pm
Published on:
05 Aug 2024 02:12 pm
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